राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से हटाकर सत्ता में लौटी कांग्रेस पार्टी में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच वर्चस्व की लड़ाई दिखी थी।
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच मतभेद और मनभेद की खबरें यूं तो 2018 में सरकार बनने के बाद से ही लगातार आती रहीं, लेकिन 10 जुलाई को लिखी गई एक चिट्ठी की वजह से पायलट ना सिर्फ आग बबूला हो गए बल्कि बगावत का झंडा थामे दिल्ली पहुंच गए। आइए आपको बताते हैं कि क्या था इस चिट्ठी में।
चिट्ठी में सचिन को छताछ के लिए बुलाया
दरअसल शुक्रवार को जारी चिट्ठी में सचिन पायलट को आतंकवाद निरोधी दस्ते और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने पूछताछ के लिए बुलाया था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस चिट्ठी के बाद से पायलट काफी नाराज हैं। आपको बता दें कि गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है, ये दोनों विभाग गृह मंत्रालय के ही अधीन आते हैं। दोनों के बीच झगड़ा इतना बढ़ गया की सरकार गिराने तक की नौबात आ गई।
सचिन के गुट में 25 विधायक…
यहीं नहीं सचिन पायलट के करीबी सूत्रों ने दावा किया था कि उनके गुट को 25 विधायकों का समर्थन हासिल है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होंगे। इस सूत्र ने साथ ही गहलोत गुट के 100 से ज्यादा विधायकों के दावे को झूठा करार दिया है।
CM अशोक गहलोत के पाले में बहुमत…
फिलहाल राजस्थान में पल-पल बदलते सियासी घटनाक्रम के बीच ताजा खबर यह है कि CM अशोक गहलोत के पाले में बहुमत जुटाने लायक आंकड़ा हो गया है। सीएम गहलोत के साथ होने वाली विधायक दल की बैठक में ताजा समाचार मिलने तक करीब 100 विधायक पहुंच गए हैं। इनमें 10 निर्दलीय और एक माकपा का विधायक शामिल है। सूत्रों की माने सचिन पार्टी से सामने कुछ शर्ते रख दी है।
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