संसद के नए भवन को लेकर राजनैतिक विवाद शुरू हो गया है. अशोक स्तंभ में शेर की आकृति को लेकर विपक्षी दल आपत्ति कर रहे हैं. विपक्षी दलों का आरोप है कि शेर को आक्रामक दिखाया गया है, जबकि असल चिन्ह में शेर सौम्य दिखाई देता है. विपक्ष के इस दावों को लेकर एबीपी न्यूज़ ने पड़ताल की तो पता चला कि अशोक स्तंभ में जो आकृति दिखाई दे रही है उसमें आपत्ति करने जैसा कुछ नहीं है. इस बारे में इतिहासकार रवि भट्ट (Ravi Bhatt) कहते हैं कि ये अशोक स्तंभ एक कलाकृति है और ये हमेशा कलाकार के मिज़ाज के आधार पर बदलती दिखाई देती है. मौर्य काल के समय की बेहतरीन और सबसे चर्चित आकृतियों में अशोक स्तम्भ शुमार है.
उन्होंने बताया कि अशोक स्तम्भ का इतिहास गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) से जुड़ा है. सम्राट अशोक (Samrat Ashoka) ने इस आकृति को बनवाया था और अशोक स्तम्भ की आकृति को जब संविधान का हिस्सा बनाना था, तब 21 वर्षीय युवक दीनानाथ भास्कर को इसकी ज़िम्मेदारी दी गई. दीनानाथ भास्कर शेरों पर क़रीब से अध्ययन कर चुके थे. ऐसे में उन्होंने जो आकृति दी, वही संविधान की किताबों में दिखाई देती है. लेकिन, जब आप देशभर में अलग अलग स्थानों पर अशोक स्तम्भ को देखेंगे तब आपको अलग अलग आकृतियां दिखाई देंगी. उन्होंने कहा कि इस मामले में विवाद जैसी कोई बात नहीं है.
लखनऊ विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास विभाग के प्रमुख प्रो पीयूष भार्गव ने बताया कि विश्वविद्यालय के म्यूज़ियम में भी एक अशोक स्तंभ की आकृति रखी हुई है. उन्होंने कहा कि अशोक स्तम्भ में शेर का मुंह पराक्रम का प्रतीक है ना कि गुस्से का. उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक चक्रवर्ती राजा थे और उन्होंने चारों तरफ देखने वाला एक ऐसा प्रतीक बनवाया जिसमें शेर उनके पराक्रम के प्रतीक के तौर पर दिखाई देता है.उन्होंने बताया कि अशोक स्तंभ में शेरों के ऊपर 32 तीलियों वाला एक चक्र भी था जो गौतम बुद्ध का प्रतीक है. गौतम बुद्ध को मानने वाले सम्राट अशोक ने जो आकृति बनाई है उसको लेकर विवाद खड़ा करना ठीक नहीं है. जब हमने पड़ताल की तो पता चला कि यूपी की राजधानी लखनऊ के कैसरबाग में एक बड़ा चौराहा है, जहां बीचोबीच एक अशोक स्तंभ बनाया गया है. इस अशोक स्तंभ में शेर का मुंह खुला हुआ दिखाई है दे रहा है. इसी तरह अलग अलग जगहों पर अलग अलग आकृतियां दिखाई देती हैं.
पीएम मोदी ने सोमवार को संसद के नए भवन की छत पर 20 फीट ऊंचे अशोक स्तंभ का अनावरण किया. इसके बाद इस लोकार्पण को लेकर अलग अलग विपक्षी दलों ने अपने तरीके से विरोध जताया है. जहां आम आदमी पार्टी और टीएमसी ने शेर के मुंह की आकृति से प्रतीक चिन्ह में बदलाव को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है, वहीं हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकार्पण में विपक्षी दलों को न बुलाये जाने को लेकर रोष व्यक्त किया है.
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