प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के हिरोशिमा में जी -7 शिखर सम्मेलन के दौरान यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की और उनके साथ वार्ता भी की. पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पहली बार जेलेंस्की से की मुलाकात की. पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण शुरू होने के बाद से दोनों नेताओं के बीच यह पहली आमने-सामने की बैठक है. वे पहले सिर्फ फोन पर बात करते रहे हैं. पीएम मोदी अपने तीन देशों के दौरे पर रवाना हो गए हैं. इसके पहले चरण में वे जी 7 शिखर सम्मेलन के तीन सत्रों में भाग लेने के लिए आज सुबह जापानी शहर रवाना हुए. वे पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की भी यात्रा करेंगे.
जापान के आमंत्रण पर यूक्रेन के राष्ट्रपति शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं. पूर्वी यूरोपीय देश यूक्रेन में संघर्ष शुरू होने के बाद वहां की प्रथम उप विदेश मंत्री एमीन दजापरोवा ने पिछले महीने भारत का दौरा किया था. भारत की पहली उच्च-स्तरीय यात्रा में यूक्रेनी मंत्री दजापरोवा ने भारतीय विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी को राष्ट्रपति जेलेंस्की की ओर से पीएम मोदी को लिखा गया एक पत्र सौंपा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष को केवल बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जा सकता है और “भारत किसी भी शांति प्रयासों में योगदान देने के लिए तैयार है.”
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यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पीएम मोदी के साथ बातचीत के बाद ट्वीट किया – ”जापान में भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक की. मैंने वार्ता में यूक्रेनी शांति सूत्र पहल के बारे में विस्तार से जानकारी दी और भारत को इसके कार्यान्वयन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया. मैंने लैंडमाइंस हटाने और मोबाइल अस्पतालों की यूक्रेन की जरूरतों के बारे में बात की. मैं भारत को हमारे देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का समर्थन करने के लिए, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय संगठनों के मंचों पर, और यूक्रेन को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए धन्यवाद देता हूं.”
इससे पहले आज जापानी समाचार पत्र योमीउरी शिंबुन ने एक साक्षात्कार में पीएम मोदी से जब रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बारे में उनके विचार और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों पर मतदान से बचने और रूस से तेल आयात में वृद्धि के बारे में नकारात्मक प्रतिक्रियाओं को लेकर भारत की प्रतिक्रिया के बरे में पूछा तो उन्होंने कहा, भारत विवादों को सुलझाने और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती लागत से प्रभावित लोगों की भलाई को प्राथमिकता देने के लिए संवाद और कूटनीति की वकालत करता है.
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