दिल्ली–कोरोना वायरस कोविड-19 के चलते देश और दुनियाँ में आई महामारी को रोकने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री (PM) नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कुछ सुझाव दिए हैं।
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जिसमें सबसे महत्वपूर्ण सुझाव मीडिया को दिए जाने वाले विज्ञापनों को लेकर दिया गया है कि इस पर तुरंत रोक लगा कर इस पैसे को कोविड 19 जैसी आपदा के प्रबंधन पर खर्च किया जाए जो सबसे अहम सुझाव माना जा रहा है जबकि सबको सीख देने वाली मीडिया हाउसों को यह सुझाव आने से पहले ही खुद इसके लिए मना कर देना चाहिए था लेकिन उनको सिर्फ़ दूसरों को ही सुझाव देना आता है जब खुद अमल करने का वक़्त आता है तो वह इस बात से अनजान बन रहा ख़ैर सोनिया गांधी के सभी सुझाव स्वागत योग्य है इन पर (PM) मोदी सरकार को देश हित में अमल करना चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री PM को एक पत्र लिखकर कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से पैदा हुए आर्थिक संकट से निपटने के लिए खर्चों में कटौती के कुछ महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।अपने पत्र में सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को पहली सलाह यह दी है कि सरकार एवं सरकारी उपक्रमों द्वारा मीडिया विज्ञापनों- टेलीविज़न, प्रिंट एवं ऑनलाईन विज्ञापनों पर दो साल के लिए रोक लगा दी जाए और यह पैसा कोरोना संकट से जूझने में लगाया जाए।
सोनिया गांधी ने कहा है कि केवल कोविड-19 के बारे में एडवाईज़री या स्वास्थ्य से संबंधित विज्ञापन ही इस बंदिश से बाहर रखे जाएं।सोनिया गांधी के मुताबिक केंद्र सरकार मीडिया विज्ञापनों पर हर साल लगभग 1,250 करोड़ खर्च करती है। सरकारी उपक्रमों एवं कंपनियों द्वारा विज्ञापनों पर खर्च सालाना राशि इससे भी अधिक है। इस प्रयास से कोरोना वायरस द्वारा अर्थव्यवस्था व समाज को हुए नुकसान की भरपाई में मदद मिलेगी ।
सोनिया गांधी का दूसरा सुझाव है कि 20,000 करोड़ रु. की लागत से बनाए जा रहे ‘सेंट्रल विस्टा’ ब्यूटीफिकेशन एवं कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट को स्थगित किया जाए। मौजूदा स्थिति में विलासिता पर किया जाने वाला यह खर्च व्यर्थ है। उन्होंने प्रधानमंत्री (PM) को लिखा है कि संसद मौजूदा भवन से ही अपना सारा कामकाज कर सकती है।
सोनिया गांधी ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि ऐसे संकट के समय में इस खर्च को टाला जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया है कि इस तरह से बचाए गए पैसे को नए अस्पतालों व डायग्नोस्टिक सुविधाओं के निर्माण और स्वास्थ्यकर्मियों को PPE एवं बेहतर सुविधाएं देने में इस्तेमाल किया जाए।प्रधानमंत्री को सोनिया गांधी का तीसरा सुझाव है कि भारत सरकार के खर्चे के बजट (वेतन, पेंशन एवं सेंट्रल सेक्टर की योजनाओं को छोड़कर) में भी 30% की कटौती की जाए और यह रकम (लगभग 2.5 लाख करोड़ सालाना ) प्रवासी मजदूरों, श्रमिकों, किसानों, लघु उद्यमियों और असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों को आवंटित की जाए।