Nalanda University: देश और दुनिया के लिए धरोहर नालंदा यूनिवर्सिटी का आज पुनर्जन्म हुआ है। नालंदा में शिक्षा की अलख जगाने का जो बीड़ा दो दशक पहले उठाया गया था, अब उसे आगे बढ़ाने के लिए कदम उठाए गए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नालंदा यूनिवर्सिटी के नए परिसर का उद्घाटन किया। नया परिसर नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) के प्राचीन खंडहरों के पास है, जिसे नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के तहत स्थापित किया गया था। यह अधिनियम 2007 में फिलीपींस में आयोजित द्वितीय पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णय के अनुसरण में बनाया गया है।
नालंदा के खंडहरों का भी PM मोदी ने किया दौरा
नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने राजगीर में प्राचीन नालंदा के खंडहरों का दौरा किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, पटना सर्किल की अधीक्षण पुरातत्वविद् गौतमी भट्टाचार्य ने प्रधानमंत्री को प्राचीन खंडहरों के बारे में जानकारी दी। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने यहां एक पौधा भी लगाया। नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन समारोह में पीएम मोदी के साथ बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर,बिहार के सीएम नीतीश कुमार, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी सहित 17 देशों के राजदूत भी मौजूद रहे।
Nalanda University का 800 साल पुराना इतिहास
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना पांचवीं शताब्दी में हुई थी, जहां दुनिया भर से छात्र अध्ययन करने आते थे। नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत में शिक्षा का एक प्रमुख और ऐतिहासिक केंद्र था। इसे दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय माना जाता है, जहां छात्र और शिक्षक एक ही परिसर में रहते थे। विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्राचीन विश्वविद्यालय 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों द्वारा क्षतिग्रस्त किये जाने से पहले 800 सालों तक फला-फूला।
2014 में नए विश्वविद्यालय ने 14 छात्रों के साथ एक अस्थायी स्थान से काम करना शुरू किया। इस विश्वविद्यालय का निर्माण 2017 में आरंभ हुआ। भारत के साथ इस विश्वविद्यालय में भाग लेने वाले 17 अन्य देशों में ऑस्ट्रेलिया, चीन, इंडोनेशिया, सिंगापुर, लाओस, बांग्लादेश, भूटान, ब्रुनेई दारुस्सलाम, कंबोडिया, मॉरीशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं।
Nalanda University के नए भवन की खासियत
नालंदा विश्वविद्यालय परिसर की खासियत की बात करें तो यह नेट जीरो ग्रीन है, इसकी खासियत यह है कि इसमें 6.5 मेगावाट की डीसी ऑन-ग्रिड सोलर यूनिट, 500-केएलडी घरेलू, पेयजल उपकरण और अपशिष्ट जल को दोबारा उपयोग में लाने के लिए 400-केएलडी वाटर रिसाइकिलिंग प्लांट है। विश्वविद्यालय परिसर में 100 एकड़ के वाटर बॉडी का भी प्रावधान है।
इसके अलावा 1.2 मेगावाट का एसी (जो बायोगैस आधारित वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से चलेगा) बनकर तैयार होने वाला है। वहीं 3 लाख किताबें रखने की क्षमता और 3 हजार छात्रों के बैठने की क्षमता वाली लाइब्रेरी सितंबर तक बनकर तैयार होने की उम्मीद है।
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