न्यूज डेस्क — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इस साल होने वाली बोर्ड परीक्षाओं से पहले छात्र-छात्राओं को तनाव से मुक्त रहने के टिप्स देने के लिए उनसे ‘परीक्षा पे चर्चा 2.0’ की।
पीएम मोदी ने इस दौरान कहा ‘मेरे लिए ये कार्यक्रम किसी को उपदेश देने के लिए नहीं है। मैं यहां आपके बीच खुद को अपने जैसा, आपके जैसा और आपकी स्थिति जैसा जीना चाहता हूं, जैसा आप जीते हैं।’
पीएम ने कहा ‘हर माता-पिता को अपने बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए। परीक्षा का महत्व तो है, लेकिन यह जीवन की परीक्षा नहीं है।’ उन्होंने कहा कि अगर हम अपने आपको कसौटी के तराजू पर झौकेंगे नहीं तो जिंदगी में ठहराव आ जाएगा। ज़िन्दगी का मतलब ही होता है गति, जिंदगी का मतलब ही होता है सपने।
प्रधानमंत्री ने कहा ‘जब मन में अपनेपन का भाव पैदा हो जाता है तो फिर शरीर में ऊर्जा अपने आप आती है। मेरे लिए भी देश के सवा सौ करोड़ देशवासी मेरा परिवार हैं। उन्होंने कहा ‘अभिभावकों की महत्वाकांक्षाएं होती हैं, लेकिन बच्चों पर दबाव बनाने से स्थिति बदल जाती है। लेकिन बच्चों की क्षमता को पहचानने की कोशिश करें। बच्चों पर दबाव ना डालें।’ एक अभिभावक के सवाल कि बच्चा मोबाइल गेम खेलता है, इस पर पीएम मोदी ने कहा कि टेक्नोलॉजी का उपयोग हमारे विस्तार के लिए, हमारे सामर्थ्य में बढ़ोतरी के लिए होना चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा कि निराशा में डूबा समाज, परिवार या व्यक्ति किसी का भला नहीं कर सकता है, आशा और अपेक्षा आगे बढ़ने के लिए अनिवार्य होती है। आप अपने रिकॉर्ड से ‘कॉम्पटीशन’ कीजिए और हमेशा अपने रिकॉर्ड ब्रेक कीजिए. इससे आप कभी तनाव में नहीं रहेंगे। मां-बाप और शिक्षकों को बच्चों की तुलना नहीं करना चाहिए, इससे बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हमें हमेशा बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
अंत में पीएम ने कहा कि अभिभावकों और शिक्षकों को बच्चों के डिप्रेशन को हल्के में नहीं लेना चाहिए। डिप्रेशन या स्ट्रेस से बचने के लिए काउंसिलिंग से भी संकोच नहीं करना चाहिए, बच्चों के साथ सही तरह से बात करने वाले एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए।