फर्रुखाबाद — जिले में पुराने आलू की नाकदरी इस कदर हुई है कि यह आलू शीतगृहों से अभी तक फेंका जा रहा है। किसानों की भी मजबूरी है कि वह आलू को छुटाने की स्थिति में नहीं है। करीब 15 हजार कुंतल आलू अभी तक शीतगृहों की ओर से सड़को पर फेका जा चुका है।
पांच साल के बाद इस बार भी जिले में आलू फेंकने की नौबत आ रही है। शीतगृहों में अभी भी आलू पड़ा हुआ है। यह भी धीरे-धीरे फेंका जा रहा है। कई कोल्ड स्टोरेज स्वामियों ने गड्ढे करवाकर आलू का निस्तारण करवा दिया है। बस्तियों के निकट आलू फिकने से महामारी का खतरा मंडरा रहा है।
जिले में 70 कोल्ड स्टोरेज में 6 लाख 36 हजार मीट्रिक टन आलू पिछली बार भरा गया था जब कि उत्पादन 12 लाख मीट्रिक टन से भी अधिक हुआ था। आलू की बंपर पैदावार वाले इस जिले में आलू की यह गति होगी यह अंदाजा भी नहीं था। लंबे समय बाद किसानों केा इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा जो किसानों को कोल्ड में ही आलू छोड़ने को मजबूर होना पड़ा है। शीतगृहों में आलू का भंडारण शुल्क 220 रुपए प्रति कुंतल निर्धारित किया गया था।
ऐसी स्थिति में किसान न तो भंडारण शुल्क देने की स्थिति में थे। अच्छी क्वालिटी का आलू किसानों ने पहले ही कोल्ड से बाहर करा लिया। मगर सेकेंड ग्रेड के आलू को किसान कोल्ड से बाहर निकालने को तैयार नहीं हैं। इस चक्कर में कोल्ड स्टोरेज स्वामियों को आलू फेंकना पड़ रहा है।
दरअसल कई शीतगृह स्वामियों ने किसानों के नाम पर भंडारण कर रखा था। यही आलू ज्यादातर फेंका जा रहा है। प्रक्रिया के अनुसार बगैर किसी की सहमति के बिना आलू फेंका नहीं जा सकता। जिला आलू विकास अधिकारी नेपालराम ने बताया कि जिन किसानों ने आलू नहीं छुड़ाया है। शीतगृह स्वामी नियमानुसार पहले उनको नोटिस देंगे। इसके बाद यदि वे आलू छुड़ाने नहीं आते हैं तो इसका निस्तारण कराया जा सकता है।
इसके अवाला शीतगृह स्वामी आलू फेंकते वक्त यह भी नहीं देख रहे हैं कि इससें क्या परिणाम होंगे। शहर के आस पास के ही कई कोल्ड स्टोरेज स्वामियों ने बस्तियों के निकट आलू फिकवा दिया है। कटे फटे आलू से आस पास के लोग भी परेशान होकर रह गए हैं।
रिपोेर्ट- दिलीप कटियार,फर्रुखाबाद