लखीमपुर खीरी–आजकल संगठन बनाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना बहुत आसान कार्य हो गया है। शायद यही वजह है आजकल के युवा शिक्षा की ओर से भटकते हुए राजनीती के ओर अग्रसर हो रहे है।
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आजकल हमने देखा है बहुत से लोग मानवाधिकार संगठन बनाकर लोगो को जोड़ने और फिर उनसे कार्ड के नाम पर एक मोटी रकम लेकर उन्हें युवा नेता बना देते है। जिस समय युवाओ को शिक्षा और दीक्षा की अधिक जरूरत होती है उस वक्त युवा राजनीती में दिलचस्पी रखता है। शायद यही वजह है शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है ।
इन संगठनो की क्या आवयश्कता है-
मानवाधिकार संगठन तो वैसे मानवो के अधिकार के सुरक्षा हेतु होते है पर आजकल मानवाधिकार संगठन धन उगाही करने के लिए किसी भी व्यक्ति को जोड़ लेते है। उनका क्या कार्य था वो कैसे इंसान है उन्हें इस बात से कोई लेना देना नही होता है ।बस उन्हें धन चाहिए और लोग भी उन्हें धन देकर अपनी गाडियो पर मानवाधिकार लिखवा लेते है और अपराध कर पुलिस से बचने का प्रयास करते है। क्या इन संगठनो पर सरकार को रोक नही लगानी चाहिए क्योकि ये लोग समाज में अपराधिक प्रवृति के लोगो को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे है। जब कोई बात हो जाये तो संख्या बल को आधार बनाकर शासन प्रशासन पर दबाब बनाने का प्रयास करते है सरकार को इसपर कारवाई करनी चाहिए ताकि समाज में अपराध का रोकथाम हो सके और फिर मानवाधिकार आयोग जब अपना कार्य कर रहा है तो इन संगठनो की क्या आवयश्कता है यह एक बड़ा सवाल है।
इन संगठनो के राष्ट्रीय स्तर के नेता छोटे व् निम्न स्तर के कार्यकर्ताओ का आर्थिक रूप से शोषण कर स्वयम् को आर्थिक रूप से मजबूत बनाकर राजनीती में अपना कद बढ़ाते है। आज के युवाओ को ऐसे लोगो को पहचानने की बहुत आवयश्कता है। जब देश में कोई आपदा आती है या फिर हमारी सेना में सहादत होती है तब ये सभी संगठन गायब हो जाते है। वही जब देश में कोई देश विरोधी एजेंडा चलाना हो तो यह लोग मुखर होकर सामने आकर विरोध दर्ज करवाते है।