कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को देखते हुए 2 महीने से शिक्षण संस्थान बंद चल रहे हैं पर निजी स्कूल अपनी मनमानी कर अभिभावकों से 3 महीने की फीस लेने का दबाव बढ़ा रहे हैं जिससे अभिभावकों में रोष है। अभिभावकों का साफ कहना है कि जब लॉक डाउन के दौरान सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं तो फीस लेने का क्या औचित्य है।
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वहीं अभिभावक संघ लगातार स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आवाज बुलंद किए हुए जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन और शासन तक अपनी गुहार लगा चुका है। इसी क्रम में कल दिनांक 20 मई को राज्य सभा सांसद डॉ अशोक बाजपेई से दूरभाष पर वार्ता कर प्रतिनिधि पारुल दीक्षित को भी ज्ञापन भेजा गया।
जिला प्रशासन ने पहले ही दे चुका है निर्देश
मालूम हो कि निजी स्कूल लॉक डाउन के दौरान अभिभावकों से फीस जमा किये जाने का दबाव बना रहे हैं जबकि शासन, जिला प्रशासन ने पहले ही निर्देश दे चुका है कि वह अध्यापकों से फीस देने का किसी प्रकार का दबाव ना बनाएं। यहां तक कि जिलाधिकारी पुलकित खरे ने अभिभावक संघ की मांग पर पिछले साल के ही पाठ्यक्रम को पढ़ाने, पाठ्यक्रम ना बदलने, फीस वृद्धि ना करने तथा अभिभावकों से फीस जमा किए जाने का दबाव ना बनाए जाने संबंधी आदेश दिए थे किंतु जिला अधिकारी के आदेशों की अवहेलना निजी स्कूल कर रहे है।
देखा जा रहा है कि स्कूलों में पाठ्यक्रम बदल दिया गया है यही नहीं, स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि कर फीस जमा कराए जाने का दबाव बनाया जा रहा है।जिसे संज्ञान में लेकर अभिभावक संघ लगातार जनप्रतिनिधियों के माध्यम से मांग कर रहे हैं। उनका साफ कहना है कि लॉकडाउन के दौरान जब शिक्षण संस्थान बंद हैं तो फीस देने का कोई औचित्य नहीं बनता है। अध्यक्ष गोपाल द्विवेदी और सचिव दानिश साफ कहना है कि जब तक बढ़ी फीस व अभिभावकों के हित में फैसला नहीं हो जाता है तब तक अभिभावक फीस जमा ना करें।
ये लोग थे शामिल…
प्रतिनिधिमंडल में संरक्षक शिव प्रकाश त्रिवेदी, अध्यक्ष गोपाल द्विवेदी, सचिव दानिश किरमानी, कोर कमेटी सदस्य अभिषेक गुप्ता नवल किशोर द्विवेदी व गोपेश दीक्षित से सुनील अर्कवंशी ने कहा कि इस प्रकार की फीस वृद्धि करना, पाठ्यक्रम और फीस जमा किए जाने का दबाव बनाना नाजायज है इस पर रोक लगाई जाएगी। शासन ने पहले से ही दबाव पूर्वक फीस न लिए जाने का आदेश दे रखा है।
(रिपोर्ट- सुनील अर्कवंशी, हरदोई)