कलयुगी संतानो ने छोड़ा हाथ तो कुछ इस तरह सहारा बना मकान मालिक

लखनऊ —जिसने नौ माह कोख में रखा; पाल पोस कर बड़ा किया उस मां के मौत की सूचना मिलने के बाद भी बेटे और बेटियां नहीं पहुंचे। माॅ-बाप को संतान से बहुत उम्मीदे होती है पर कलयुगी संतान अपने बुढ़े माता-पिता को ही दर – दर की ठोकरे खाने को मजबुर कर देते है।

ऐसा ही मामला रविवार को आशियाना क्षेत्र में देखने को आया जहां माॅ की मौत की सूचना देने के बाद भी न ही बेटे पहुंचे और न ही बेटीयां । माॅ का शव फर्श पर पड़ा रहा। बुढ़ा पति माथे पर सर रख अपनी किस्मत को रोता रहा । इतने में मकान मालिक ने इंसानियत की मिसाल बन मृत महीला का दाहसंस्कार कराया और इंसानियत की मिसाल प्रस्तुत की। मुलरूप से गोण्डा जनपद निवासी सत्तर वर्षीय तेज बहादुर तिवारी अपनी बृद्व पत्नी के साथ आशियाना क्षेत्र के छुआरा खेड़ा में स्थानीय निवासी अर्जुन सिंह लोधी के मकान में लगभग पांच माह से किराये पर रहकर निजि संस्था में गार्ड की नौकरी कर अपना और अपनी पत्नि का भरण – पोषण कर रहे थें।

वृद्ध के मुताबिक उनके तीन बेटे और दो बेटियां है ।सभी की शादी कर चुके है। बेटे पैतृक सम्पत्ति पर ही रहते है और बुजुर्ग माता-पिता लखनऊ में रहकर गार्ड की नौकरी कर जिवनयापन कर रहे थे।शनिवार शाम लगभग 8ः00 बजे बिमार चल रही बुजुर्ग पत्नि ने साथ छोड़ दिया।बुजुर्ग पत्नी का शव घर में रख पिता बेटे-बेटियों को सूचना पर सूचना करते रहे पर रविवार सुबह तक कोई नहीं पहुंचा ।पैसे का अभाव और कंधा देने वाला कोई नहीं ऐसे में बुजुर्ग के समझ में नही आ रहा था क्या करे और कहां जाये बस माथें पर हाथ रख अपने कलयुगी संतानो को कोस रहा था और अपनी किस्मत पर रो रहा था ।ऐसे कठिन समय में मकानमालिक ने इंसानियत को जिन्दा रखा और आगे बढ़ कर बेबस बुजुर्ग को हौसला बढ़ाते हुये मृतक के दाह संस्कार की प्रक्रिया हिन्दू रिती रिवाज से करते हुये दाह संस्कार कराया ।  

(रिपोर्ट – अंशुमान दुबे , लखनऊ )

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