न्यूज डेस्क — मोदी मंत्रीमंडल ने बुधवार को ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से आजादी दिलाने के लिए बड़ा फैसला किया है. आज हुई कैबिनेट बैठक में तीन तलाक पर अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई है.
अब राष्ट्रपति की मुहर लगते ही तीन तलाक पर कानून पास हो जाएगा. हालांकि संसद से बिल पारित होने से पहले 6 महीने तक अध्यादेश से काम चलेगा.वहीं मोदी कैबिनेट द्वारा तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने वाले अध्यादेश को लेकर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं.
दरअसल तीन तलाक बिल को संसद के दोनों सदनों में पास कराने में असफल रहने के बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश का रास्ता चुना है. उधर इस अध्यादेश को आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्य और मुस्लिम धर्मगुरू मौलाना खालिद फरंगी महली ने लोकतंत्र के खिलाफ करार दिया है.
फरंगी महली ने कहा कि उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को अवैध करार दे दिया था लेकिन कोर्ट ने कहीं भी ये नहीं कहा था कि इसे आप दंडनीय अपराध बना दें. इसके बाद भी सरकार ने इसे दंडनीय अपराध बनाने की कोशिश की. किसी भी लोकतंत्र में कानून बनाने का हक संसद को होता है. अभी ये बिल राज्यसभा में पास नहीं हुआ, उसके बावजूद आॅर्डिनेंस बनाना हम लोकतंत्र के उसूलों के खिलाफ समझते हैं. सभी दलों ने और मुस्लिम समुदाय ने इस बिल को सेलेक्ट कमेटी को देने की मांग की थी. यही नहीं मुस्लिम महिलाओं ने भी सड़कों पर विरोध किया था. अब सरकार ने अध्यादेश लाया है. ये लोकतंत्र के खिलाफ है.
बता दें कि इस बिल के तहत तुरंत तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को अपराध की श्रेणी में रखा गया. अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक बोलकर तलाक देने वाले मुस्लिम पुरुष को तीन साल की जेल की सजा हो सकती है. इस बिल में मुस्लिम महिला को भत्ते और बच्चों की परवरिश के लिए खर्च को लेकर भी प्रावधान है. इसके तहत मौखिक, टेलिफोनिक या लिखित किसी भी रूप में एक बार में तीन तलाक को गैर-कानूनी करार दिया गया है.जबकि पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक को गैर कानूनी और असंवैधानिक करार दिया था.फिलहाल बिल राज्यसभा में अटका है.