रायबरेली– ऊंचाहार एनटीपीसी में 500 मेगावॉट की यूनिट नंबर 6 के बॉयलर का स्टीम पाइप फटने से बुधवार को हादसा हुआ था। बॉयलर में बन रही स्टीम का तापमान 500 डिग्री के आस-पास तक चला जाता है। उसका वायुदाब भी इतना होता है कि उसके संपर्क में आने पर इंसानी शरीर के चीथड़े उड़ जाएं। एक घायल मजदूर ने बताया कि हादसे के वक्त करीब 25 लोग बॉयलर के काफी करीब थे। बॉयलर फटते ही कई लोग वहीं राख के मलबे में दब गए। इनमें से कुछ के शरीर क्षत-विक्षत हो गए। मेडिकल विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में गर्म राख के नाक और मुंह के रास्ते तेज रफ्तार से फेफड़ों तक पहुंच जाने से भी मौत हो सकती है। एक चश्मदीद ने हादसे की भयावहता को बयां करते हुए कहा कि ऐश पाइप से निकली राख से दस मीटर दूरी पर बॉयलर में मौजूद लोग मर-मर कर गिर रहे थे। चारों ओर धुआं-धुआं था। हवा में सिर्फ और सिर्फ राख ही तैरती दिख रही थी। अब तक 25 लोगों की मौत हो चुकी। इस दर्दनाक हादसे में 200 से ज्यादा वर्कर्स घायल हुए हैं। बुधवार शाम लगभग 4 बजे हुए इस ब्लास्ट के बाद प्लांट परिसर में अफरा-तफरी का माहौल हो गया था। सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) ने पूरे परिसर को घेर लिया था। घायलों को इलाज के लिए रायबरेली, इलाहाबाद के साथ लखनऊ भेजा गया।
रात करीब 9 बजे प्लांट के आसपास केवल सन्नाटा पसरा था। प्लांट के गेट पर सीआईएसएफ के जवान लगे थे। बेहद मुस्तैद। किसी को भीतर जाने की इजाजत नहीं थी। गांव के कुछ लोग जैसे ही इस तरफ आते, उन्हें खदेड़ा जाने लगता। शिफ्ट बदलने पर निकलने वाले मजदूरों में हादसे को लेकर दहशत साफ महसूस की जा सकती थी। यहां काम करके निकले बिहार के रहने वाले अशोक कुमार पहले तो कुछ बोलने को तैयार नहीं हुए। गेट से कुछ दूर जाने के बाद बोले, यूनिट जिसमें हादसा हुआ, वह अब भी चल रही है। एक बॉयलर के नीचे 100 से 150 आदमी काम करते हैं, जबकि उस यूनिट में 300 से ज्यादा लोग एक बार में होते हैं। मजदूरों को अंदेशा है कि बॉयलर के नीचे काम करने वालों में शायद ही कोई बचा हो।