बेकरी उत्पादों को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। अब ऐसा नही होगा क्योंकि यह उत्पाद अब चीनी और हानिकारक रसायन की जगह औषधीय गुणों से भरपूर गुड़ से बनाए जा सकेंगे। औषधीय गुणों की खान गुड़ की अब चॉकलेट भी मिलेगी।
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साथ ही गुड़ के पाउडर और लिक्विड से अन्य बेकरी उत्पाद भी तैयार किए गए हैं जिससे सेहत भी दुरुस्तर रहेगी। गुड़ से ब्राउनी,केक,जैम,जैली और पॉपकॉर्न बनाने की तकनीक नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट ने विकसित की है।
गुड़ में होते औषधीय गुण
गुड़ हमारे देश में सदियों से बनता रहा है। गुड़ एक ऐसा प्रोडक्ट है जो शक्कर की अपेक्षा ज्यादा प्रकृतिक है। गन्ने के रस के सारे औषधीय गुण गु़ड़ में मौजूद रहते हैं। इसमें शर्करा,ग्लूकोज,फैक्टोज,विटामिन,मिनिरल,सुक्रोज सब कुछ होता है। जिसके चलते इसका औषधीय महत्व बहुत अधिक है। गुड़ में इतनी सारी क्वालिटीज होने के बाद भी इसका इस्तेमाल कम होता है।
लोगों का ऐसा मानना है कि गन्ने से गुड़ बनने की प्रक्रिया स्वच्छ माहौल मे नही होती। इसके साथ ही इसे सही तरीके से लम्बे समय तक नही रखा जा सकता।नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट ने इसी समस्या पर काम किया। दो साल तक प्रयोग कर बिना केमिकल के उपयोग के गुड़ बनाया। जिसके बाद गुड़ से कॉन्फेक्शनरी और बेकरी उत्पाद बनाने के लिए प्रयोग किए गए।
गुड़ पाउडर और लिक्विड से हुआ संभव
बेकरी प्रोडक्टस बनाने की गुणवत्ता और गुड़ की सेल्फ लाइफ को मेंटेन किया गया। संस्थान के डॉयरेक्टर का कहना है कि गुड़ से कुकीज- बिस्किट, बेकरी उत्पाद और चॉकलेट बनायी जा रही है। जिसमें गुड़ के औषधीय गुण होते हैं। गुड़ पाउडर और लिक्विड गुड़ की वजह से यह सम्भव हो सका।
कोरोना काल के बाद लोगों में प्रकृतिक वस्तुओं की मांग बढ़ी है। गुड़ को रोग प्रतिरोधक छमता को बढ़ाने वाला माना जाता है। गुड़ के बने प्रोडक्ट शरीर को हेल्दी बनाएंगे। संस्थान के निदेशक का कहना है कि जिस तरह से प्रकृतिक और शरीर की रोग प्रतिरोधक छमता बनाने वाले उत्पादों की मांग बढ़ी है ऐसे मे गुड़ से बने बिस्किट,केक, कुकीज और चॉकलेट जैसे प्रोडक्ट को लोग हाथो हाथ लेंगे।
इऩ उत्पादकों से बढ़ेगी किसान की आय
इन उत्पादों के स्टार्टअप करके लोग अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। गन्ना उत्पादक राज्यों खासतौर पर यूपी,हिमांचल,उड़ीसा और झारखंड जैसे राज्यों में ऐसे गुड़ का उत्पादन आसानी से किया जा सकता है जो बेकरी और कुकीज प्रोडक्ट के लिए मुफीद होगा।
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(रिपोर्ट- सुमित अवस्थी, कानपुर)