राज्य मुख्यालय उत्तर प्रदेश के केबल टीवी दर्शक एक बार फिर लोकल वीडियो चैनल पर फिल्मी गाने, पसंदीदा फिल्म, स्थानीय समाचारों के अलावा अपने शहर, कस्बे में आयोजित होने वाले कथा समागम, शबद कीर्तन, जागरण व ऐसे ही अन्य धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजनों का सीधा प्रसारण देख पाएंगे।
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प्रदेश सरकार ने राज्य के केबल आपरेटरों को बुधवार को एक बड़ी राहत देते हुए 11 साल पहले बसपा सरकार के राज में केबल नेटवर्क के लोकल चैनल पर वीडियो या सजीव प्रसारण करने पर सौ रुपये प्रति टीवी स्क्रीन प्रतिवर्ष का लगाया शुल्क खत्म कर दिया है। इसके बाद केबल आपरेटरों ने दर्शकों पर पड़ने वाले इस वित्तीय भार को देखते हुए नेटवर्क से लोकल वीडियो चैनलों का प्रसारण बंद कर दिया था।बुधवार को हुई कैबिनेट में इस शुल्क को खत्म करने का फैसाल किया गया है।
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कैबिनेट में उ.प्र.चलचित्र (वीडियो द्वारा प्रदर्शन का विनियमन) नियमावली-1988 में संशोधन का प्रस्ताव आया, जिसे मंजूरी दी गई। कैबिनेट निर्णय के अनुसार केबल आपरेटरों को अब वीडियो द्वारा लोकल चैनल के प्रदर्शन के मामले में प्रति वित्तीय वर्ष या उसके आंशिक भाग के लिए 10 हजार रुपये की वार्षिक लाइसेंस फीस ही देय होगी।
उत्तर प्रदेश केबल टीवी उद्योग संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील जौली ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया है। उन्होंने कहा है कि सरकार के निर्णय से पूरे प्रदेश में केबल आपरेटर एक बार फिर से अपने दर्शकों को लोकल वीडियो चैनल व स्थानीय कार्यक्रमों का सजीव प्रसारण दिखा पाएंगे।