राजस्थान में सियासत अपने उफान पर है. वहीं सियासी संकट के बीच सचिन पालयट खेमे के बागी विधायकों को दिये जारी नोटिस कर दिया गया है. हालांकि इस नोटिस पर अब सवाल उठने लगे हैं. हाईकोर्ट का कहना है कि इन नोटिस की कोई वैधानिकता नहीं है. विधानसभा के बाहर व्हिप जारी नहीं किया जा सकता. जैन ने कहा कि इस मामले में विधानसभा स्पीकर ने भी विवेकपूर्ण निर्णय नहीं लिया.
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नोटिस पर उठे सवाल…
हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस जैन ने कहा कि नोटिस चस्पा करने का तरीका भी पूरी तरह से गलत है. नोटिस तभी चस्पा किया जाता है जब नोटिस लेने से कोई मना कर दे. जस्टिस जैन ने इस पूरी कार्रवाई को गैर कानूनी बताया है.
बता दें कि बागी हुए सचिन पायलट के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने तुरंत एक्शन लेते हुए रात को ही विधानसभा खुलवाकर सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को नोटिस जारी कर दिए. बागी विधायकों से 2 दिन के भीतर ही यानि 17 जुलाई को दोपहर 1 बजे तक विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के समक्ष लिखित जवाब मांगा गया है. विधानसभा की ओर से इन 19 विधायकों को तमाम माध्यमों से नोटिस के संबंध में सूचना भिजवाई जा चुकी है.
यूं बदल सकता है सत्ता का गणित…
ऐसे में सवाल उठता है कि अगर 19 विधायकों की सदन की प्राथमिक सदस्यता खत्म हो जाए तो फिर विधानसभा में संख्या का क्या गणित रहने वाला है. विधानसभा के जानकार सूत्रों का कहना है कि प्रदेश की 200 सदस्यों वाली विधानसभा में 19 विधायकों की प्रथमिक सदस्यता खत्म होते ही इसमें 181 सदस्य रह जाएंगे. सदन में अभी कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं.
इनमें से 19 विधायकों की संख्या कम करने पर कांग्रेस के पास 88 सदस्य ही बचेंगे. लेकिन जब विधानसभा में सदस्य ही 181 होंगे तो सत्ता में बने रहने के लिए बहुमत का आंकड़ा 92 सदस्यों का होना जरूरी होगा. ऐसी स्थिति में गहलोत सरकार को केवल 4 अन्य सदस्यों समर्थन लेना होगा. लेकिन इसमें कई तरह की पेचीदगियां हैं, जिनके आधार फिलहाल कुछ भी कह पाना मुश्किल है.
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