नई पहलः प्रदूषण रोकने के लिए पीतल की गणेश प्रतिमायें गंगा स्नान के बाद पुनः होगीं विराजमान

फर्रुखाबाद–गंगा का प्रदूषण रोकने के भारत सरकार करोड़ो रूपये खर्च कर रही है लेकिन प्रदूषण नही रोक पा रही है। गणेश महोत्सव पूरी तरह से नगर में जोर पर है।जगह-जगह गणेश की मूर्तियां विराजमान है।

आस्था के साथ लोग उनकी आराधना में लीन है।इसके साथ ही कुछ लोगों ने गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने का अनोखा तरीका निकाला है।जिसके चलते उन्होंने पीतल की गणेश प्रतिमा स्थापित की है।जिले में अपनी आस्था को ठेस न पहुंचे उसके लिए पाण्डेश्वरनाथ मन्दिर की कमेटी के पदाधिकारियों ने मिलकर पिछले दो साल से पीतल की गणेश प्रतिमा की स्थापना करनी शुरू कर दी है।जिसका भजन दो कुंतल 50 किलो का है मूर्ति के ऊपर 11 किलो का चाँदी का क्षत्र लगा हुआ है।भक्तो का मानना है कि गंगा में मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी गई है । हिन्दू धर्म मे बिना खण्डित मूर्ति का विसर्जन किया जाता न कि सही मूर्ति का भू विसर्जन शास्त्रों में गलत माना गया है।उसी वजह से इस मूर्ति की स्थापना की गई है।यह प्रतिमा को 23 तारीख को नगर में भक्तो को दर्शन कराने के लिए भृमण कराया जाता है।पुनः बापस मन्दिर में स्थापित कर दी जाती है।

पीतल की मूर्ति स्थापित करने से गंगा में मूर्ति का विसर्जन भी नही करना पड़ता है न ही भू विसर्जन।जिले में गणेश प्रतिमाओं की स्थापना जगह जगह पर लेकिन यज्ञ का आयोजन पूरे जिले में कही नही होता है सिर्फ पांडेश्वर नाथ मंदिर में विशाल यज्ञ का आयोजन किया जाता है जिसमे 11 आचार्यो द्वारा 9 दिनों तक लगातार बेदमंत्रो द्वारा यज्ञ किया जाता है।वही इस मूर्ति की स्थापना होने के बाद शहर में दूसरी भी गणेश प्रतिमा की स्थापना की गई है ।

नगर के मोहल्ला बजरिया में शिव धर्मशाला समिति की तरफ से शिव मन्दिर में इस बार 33 किलो बजनी पीतल की गणपति प्रतिमा स्थापित की गयी है| महोत्सव के मुख्य आयोजन कांग्रेस नेता डॉ० पीएन सक्सेना ने बताया कि वह मूर्ति का विसर्जन ना करे और उसको अगली बार भी पूजा में प्रयोग करे यह विचार आया।जिसके बाद सभी के सहयोग से कानपुर से 29 हजार रूपये कीमत की 33 किलो वजन की प्रतिमा लाकर स्थापित की गयी।पांचाल घाट पर गंगा में उन्हें स्न्नान कराकर वापस लाकर मन्दिर में रख दिया जायेगा।इससे गंगा में प्रदूषण नही होगा।

(रिपोर्ट-दिलीप कटियार, फर्रूखाबाद)

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