टूटी सड़क बनी नवजात का काल, गंभीर हालत में प्रसूता को कराया अस्पताल में एडमिट

एटा–प्रदेश सरकार सड़कों को गढ्ढामुक्त कराने के भले ही लाख दावे कर रही हो लेकिन इसके लिए जिम्मेदार अफसरों को सरकार के आदेशों को किस कदर हवा में उड़ा रहे है। इसकी बानगी एक बार फिर एटा में देखने को मिली है। 

आलम ये है कि सड़कों में गढ्ढे नहीं बल्कि गढ्ढों में अब ये ठंडी सड़क तब्दील हो चुकी है और ये गढ्ढे अब लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन चुकी है । गढ्ढों में तब्दील हो चुकी सड़कों के चलते बीते चौबीस घंटे में प्रसव पीड़ा से कराहती महिलाओं के दो नवजात बच्चों की जिंदगी इन गढ्ढों में समां गयी। गनीमत ये थी कि दूसरे सड़क पर महिला प्रसव मामले में जज्जा-बच्चा को तो बचा लिया गया लेकिन कल इस दूसरे नवजात बच्चे के लिए ये ठंडी सड़क काल बन गई। 

थाना मलावन के सोहार निवासी आर्यन अपनी सात माह की गर्भवती पत्नी गीता को लेकर एटा अन्ट्रासाउंड कराने आ रहा था। गीता और उसके पति ने कभी सपने में भी ये नहीं सोचा होगा कि अपने जिस नवजात शिशु के अच्छे स्वास्थ और चेकअप के लिए वो अन्ट्रासाउंड कराने जा रहे है शहर की बदहाल सड़के उसके नवजात शिशु की मौत का सबब बन जाएंगी। शहर के बीचो बीच ठण्डी सड़क के समीप काली मंदिर के निकट गीता उस समय प्रसव पीड़ा से बुरी तरह कराह उठी जब उसके पति की बाईक गढ्ढे में तब्दील हो चुकी सड़क से गुजरी। आलम ये था कि गीता और उसका पति कुछ समझ पाते इसी बीच सड़क पर ही सात माह की गर्भवती गीता को तेज प्रसव पीड़ा होने लगी और उन्हें इतना भी समय नहीं मिला कि वो अस्पताल तक पहुंच सके। सड़क से गुजर रही महिलाओं और राहगीरों ने चादर की आड़ करी और प्रसव पीड़ा से कराहती गीता को वहीं प्रसव हो गया लेकिन दुर्भाग्य ये कि उसके सात माह के नवजात शिशु की तब तक मौत हो चुकी थी और गीता की हालत बेहद खराब हो चुकी थी।

इसी दरम्यान लोगों ने एम्बुलेंस को फोन किया और गीता को जिला महिला चिकिक्तसालय में भर्ती कराया जहॉं उसकी हालत नाजुक बनी हुयी है। अपने नवजात शिशु की मौत के गम में गीता पूरी तरह टूट चुकी है और पति अपनी बेबसी को कोस रहा है वहीं लोग महिला के नवजात शिशु की असामयिक मौत से गमजदा थे और अफसरों के साथ साथ जनप्रतिनिधियों को कोसते नजर आये, और स्थानीय लोग 10 बर्षों से ज्यादा हो चुके ठंडी सड़क की स्थिति को बयां करते दिखे। ऐसे में सवाल ये है कि काश सरकार के सड़कों को गढ्ढामुक्त किये जाने के आदेशों का पालन सही तरह से किया गया होता तो जहॉं लोगों को गढ्ढामुक्त सड़कों से निजात मिल जाती और एक नवजात शिशु की मौत न होती और ये नवजात शिशु अपनी मॉं गीता की गोद में किलकारी भर रहा होता।

(रिपोर्ट-आर.बी.द्विवेदी, एटा)

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