भारत और नेपाल के बीच तल्खी अब बढ़ती जा रही है. नेपाल सरकार ने अपना नया नक्शा जारी कर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। नेपाल द्वारा जारी मानचित्र में भारत की 3 जगहों को अपने देश मे शामिल दिखाया है।
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दरअसल नेपाल ने कालापानी,लिपुलेख और लिम्पिया धारा इलाकों को अपने नक्शे में शामिल दिखाया है। ये मामला तब से सुर्खियों में बना हुआ है जब 8 मई को भारत सरकार ने उत्तराखंड से कैलाश मानसरोवर को जाने वाली सड़क का उद्घाटन किया जिससे कैलाश मानसरोवर की यात्रा सुगम और बहुत कम दूरी की रह जायेगी।
नेपाल ने अपने नक्शे में भारत की जगह की शामिल
उसके बाद ही नेपाल की संसद समेत पूरे देश मे भारत के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त प्रदर्शन होने लगे हैं। अब नेपाली सरकार ने अपने देश के नए नक्शे में भारत की 3 जगह शामिल कर मामले को और ज़्यादा हवा दे दी है।
गौरतलब है कि भू प्रबंधन, सहकारिता और गरीबी उन्मूलन मंत्रालय द्वारा यह नक्शा जारी किया गया है। भारत के विरोध के बावजूद नेपाल का यह कदम दोनों देशों के बीच बिगड़ते रिश्तों को दर्शाता है। इस महीने की शुरुआत में नेपाली राष्ट्रपति बिध्या देवी भंडारी ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा था कि देश के नए नक्शे प्रकाशित किए जाएंगे और उसमें उन सभी क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा जिसे नेपाल अपना मानता है।
भारत ने दी तीखी प्रतिक्रिया
वहीं इसका विरोध में भारत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि नेपाल का इस तरह से नक्शे में बदलाव स्वीकार्य नहीं है। नेपाल, भारत की संप्रभुता का सम्मान करे। दोनों देशों ने जो मैकेनिज्म बना रखा है इस तरह की समस्याओं को हल करने का उसके तहत ही मामले को सुलझाएं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा यह एकतरफा कदम है और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है. इंडिया और नेपाल के बीच इस तरह के सीमा संबंधी मुद्दे द्विपक्षीय समझ और डिप्लोमेटिक डायलॉग के जरिए हल किए जाने चाहिए।
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