नवरात्रि स्पेशल: यहाँ गुरु द्रोणाचार्य ने की थी गुरु ग्रामेश्वरी देवी की स्थापना

फर्रुखाबाद– चैत्र नवरात्र कल से शुरू हो चुके हैं . मैया के भक्तों को तो नवरात्र का साल भर इन्तजार रहता है. पूरे शहर में कल से देवी मंदिरों में विशेष पूजा- वंदना शुरू हो गई । भक्तगण मैया को मनाकर मन वांछित फल पाने की कामना लिए हुए हैं.

इस अवसर पर मूर्तियों को आकर्षक तरीके से सजाया गया है. मंदिरों के मठ बिजली से जगमगा रहे हैं. पूजन में घट स्थापना की परम्परा है.मंदिरो की सुरक्षा के पर्याप्त पुलिस और पीएसी को लगाया गया है . फर्रुखाबाद के ऐतिहासिक देवी मंदिरों में ख़ास पूजा अर्चना और आरती की परम्परा है. चैत्र नवरात्र में महाभारत कालीन गुरुगांव  देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. नवरात्र के दूसरे  दिन सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगा है।  ऐतिहासिक गुड़गांव मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहाँ गुरु द्रोणाचार्य ने गुरु ग्रामेश्वरी देवी की स्थापना की थी. महाभारतकालीन प्रसिद्ध सिद्धपीठ श्रीगुरुगांव देवी मंदिर फर्रुखाबाद शहर के पश्चिम में कायमगंज मार्ग पर स्थित है.कहा जाता है कि पांडवों व कौरवों को धनुर्विद्या सिखाने वाले गुरु द्रोणाचार्य ने राजा द्रुपद के किले पर चढ़ाई करने से पहले श्री मंगला गौरी की बालुका प्रतिमा की रचना कर विधिवत पूजा-अर्चना की.श्रीकृष्ण संवत 21 की चैत्र पंचमी को गुरु ग्रामेश्वरी देवी की स्थापना की गई. उस समय यहां छोटी मठिया थी. बाद में मंदिर को भव्य रूप प्रदान किया गया. मंदिर में स्थापित मंगला गौरी दक्षिण पांचाल प्रदेश की अधिष्ठात्री देवी हैं. प्रतिमा मंगलवार को स्थापित हुई थी इसलिए यहाँ मैया को मंगला देवी भी कहते हैं. यह सिद्धपीठ है. ऐसा सच्चा दरबार है जहाँ मैया अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती है. गुरुगांव देवी मंदिर में दोनों नवरात्रों में विशाल मेला लगता है.

मंदिर के पुजारी कैलाश चन्द्र ने बताया कि मंदिर महाभारत कालीन है. ऐसा बताया जाता है कि गुरु द्रोणाचार्य ने यहाँ माता की प्रतिमा स्थापित की थी.पुजारी ने बताया कि  जीर्णोद्धार के बाद मंदिर की महिमा और प्रतिष्ठा और बढ़ गयी है. मंदिर में मंगलवार के दिन विशेष कीर्तन और पूजन होता है. वासंतीय और शारदीय नवरात्र में मंदिर में भव्य मेला आयोजित होता है.  रेखा सक्सेना, अर्चना ने बताया कि मैया की उनपर विशेष कृपा है, मैया ने उन्हें सब कुछ  दिया है. भक्तों ने बताया कि मंदिर में आने के बाद उनके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आया है.

ऐतिहासिक शीतला माता मंदिर भी सच्चा दरबार है.यहां स्थापित मैया की मूर्ति मंदिर के पीछे स्थित तालाब से निकली थी. इसके अलावा भी सभी प्राचीन मंदिरों में , घरों में भी नवरात्र का पूजन किया जाता है.

(रिपोर्ट- दिलीप कटियार , फर्रुखाबाद )

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