बहराइच–पितृपक्ष में अपने पूर्वजों की तलाश में विदेशी जोड़ा मनिकापुर गांव पहुंचा। यहां पर ग्रामीणों से अपने पर बाबा व अन्य परिवारीजनों की जानकारी एकत्रित की, लेकिन पूर्वजों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी।
निराश जोड़े ने प्राथमिक विद्यालय में छात्रों को ज्यामेट्री व बिस्किट बांटा। इसके बाद अप्रवासीय भारतीय जोड़ा की गांव की मिट्टी चूमकर नीदरलैंड के लिए रवाना हो गये। पयागपुर तहसील अंतर्गत मनिकापुर गांव में नीदरलैंड (हालैंड) अप्रवासी भारतीय रामनरायन पहुंच गए। विदेशी जोड़े कोदेखकर गांव के लोग हतप्रभ रह गए। आसपास के लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई। इस पर रामनरायन ने बताया कि 110 वर्ष पहले वर्ष 1908 में उनके पर दादा मतई पुत्र पित्तर काम की तलाश में कलकत्ता गए थे। वहां से अंग्रेज उन्हें 1908में ही नीदरलैंड ले गए। वहां पर दादा मतई से काम कराया गया। यहां से वह सूरीनाथ की राजधानी तारा मारिबो पहुंचे और वहीं के होकर रह गए।
रामनरायन ने कहा कि उनके पिता रामनरेश ने बताया था कि हमारे पूर्वज भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिले स्थित मनिकापुर गांव के निवासी थे। ऐसे में पितृपक्ष में पूर्वजों को ढूंढ़ते हुए रामनरायन सोमवार को दोपहर एक बजे मनिकापुर गांव पहुंचे। उन्होंने सर्वप्रथम गांव की मिट्टी को चूमकर नमन किया। इसके बाद ग्राम प्रधान अजय कुमार गुप्ता से जानकारी लेते हुए कहा कि गांव के बीचो बीच स्थित मंदिर के बगल में हमारे पूर्वज का मकान था। यहां पर दूसरी विरादरी के लेाग मकान बनाकर रहे हैं। गांव निवासी 90 वर्षीय बुजुर्ग जोखूराम ने बताया कि बाल्यकाल में यहां पर एक दलित परिवार रहता था जो गांव के मजरा टिकरी में जाकर बस गए। लेकिन रामनरेश तथा अप्रवासी के पर दादा मतई के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। इस पर अप्रवासीय जोड़ा निराश दिखा।
पूर्वजों की तलाश करने के बाद वह ग्रामीणों से मिलकर गांव की आर्थिक व भौगोलिक स्थिति की जानकारी ली। प्राथमिक विद्यालय मनिकापुर में पहुंचकर छात्रों से मिले। सभी को कापी, ज्यामेट्री बॉक्स व बिस्किट प्रदान कर समय बिताया। रामनरायन ने बताया कि मंगलवार को लखनऊ से फ्लैट होने के कारण वह ज्यादा समय नहीं दे सके। इसके लिए उन्हें दुख है। दोबारा जल्द ही गांव आने का आश्वासन देते हुए भावुक होकर नीदरलैंड के लिए अप्रवासी जोड़ा रवाना हो गया। पूर्वजों की तलाश में विदेशी को देखकर गांव के लोग हतप्रभ दिखे।
सूरीनाम में बहती है श्रीराम नाम की नदी:
नीदरलैंड के अप्रवासी भारतीय रामनरायन ने बताया कि सूरीनाम में एक नदी बहती है। जिसका नाम श्रीराम है। वहां पर 38 प्रतिशत भारतीय व हिंदी भाषी के लोग रहते हैं। ऐसे में अप्रवासियों का दिल हमेशा भारत के लिए धड़कता है।
(रिपोर्ट-अनुराग पाठक , बहराइच )