Narak Chaturdashi 2023: क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी ? जानें इससे जुड़ी अहम बातें

Narak Chaturdashi 2023: कार्तिक माह में पड़ने वाले पांच त्योहारों की शुरुआत आज धनतेरस से हो गई है। धनतेरस का त्योहार शुक्रवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर समाप्त होने वाला यह पांच दिवसीय पर्व इस बार छह दिनों का है। दीपावली के अगले दिन 12 नवंबर को सोमवती अमावस्या होने के कारण गोवर्धन पूजा 13 नवंबर की बजाय 14 नवंबर को और भाई दूज का त्योहार अगले दिन मनाया जाएगा। इसी वजह से इस बार पंच पर्व छह दिनों तक चला है। धनतेरस का त्योहार जहां शुक्रवार को मनाया जा रहा है, वहीं छोटी दीपावली और नरक चतुर्दशी का त्योहार शनिवार को मनाया जाएगा।

 

नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथाए

 

नरक चतुर्दशी और छोटी दीपावली के संबंध में पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में राक्षस नरकासुर ने अपनी शक्तियों से देवताओं और ऋषि-मुनियों सहित सोलह हजार एक सौ कन्याओं को बंधक बना लिया था। नरकासुर के अत्याचारों से परेशान होकर देवताओं और ऋषि-मुनियों ने भगवान श्रीकृष्ण की शरण ली। नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को उसकी कैद से मुक्त कराया। कैद से मुक्त कराने के बाद समाज में सम्मान दिलाने के लिए श्रीकृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह किया।

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यमराज पूजा विधि 

कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इसे नरक चौदस, रूप चौदस या रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली भी कहा जाता है क्योंकि यह दीपावली से ठीक एक दिन पहले मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा करने की परंपरा है। नरक चतुर्दशी के दिन यम का दीपक जलाया जाता है। इस दिन यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है।

इसलिए इस दिन घर के मुख्य द्वार के बाईं ओर अनाज की ढेरी रखें। इस पर सरसों के तेल का एक तरफा दीपक जलाना चाहिए, लेकिन दीपक की लौ दक्षिण दिशा की ओर करनी चाहिए। इसके अलावा इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है। यह भी माना जाता है कि इसी दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था।

 

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