मुंबई में बिजली आपूर्ति और परिवहन (बेस्ट) के साथ बैंकिंग से जुड़े कुछ मुद्दों के कारण इसके करीब 40,000 कर्मचारियों को पिछले कुछ महीने से वेतन का बड़ा हिस्सा सिक्के के तौर पर मिल रहा है।
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उपक्रम 4,000 बसों के संचालन के साथ करीब 10 लाख उपभोक्ताओं के घरों में बिजली की आपूर्ति करता है। टिकट के किराये और बिजली बिल के लिए नकदी के तौर पर उपक्रम को भारी संख्या में सिक्के मिलते हैं।
सैलरी के रूप में मिले 15 हजार के सिक्के
दरअसल बेस्ट के खजाने में काफी रकम जमा है लेकिन पिछले साल निजी क्षेत्र के एक बैंक से अनुबंध खत्म होने के बाद कोई भी बैंक इस उपक्रम के 100-150 संग्रहण केंद्रों से इसे लेने को तैयार नहीं है। अपनी पहचान न छूपाते हुए बेस्ट के कुछ कर्मचारियों ने कहा कि पहले भी सिक्कों के रूप में वेतन का कुछ हिस्सा मिलता रहा है।
वहीं एक कर्मचारी ने कहा कि हालांकि अब अनुपात बढ़ गया है। मुझे वेतन के तौर पर 11,000 रुपए की नकदी और सिक्के मिले जबकि उससे एक महीने पहले सिक्कों के तौर पर 15,000 रुपए मिले थे। आम तौर पर हमें दो रुपए, पांच रुपए के सिक्के और 10 रुपए के नोट मिलते हैं। इसके अलावा नकदी के तौर पर 50 रुपए, 100 रुपए और 500 रुपए के कुछ नोट दिए जाते हैं। बाकी रकम सीधे हमारे खाते में जमा करा दी जाती है।
कर्मचारियों को हो रही दिक्कतें
बेस्ट के कामगारों की यूनियन के नेता शशांक राय ने कहा कि वेतन के रूप में सिक्के देने की व्यवस्था अस्वीकार्य है और इससे कर्मचारियों को दिक्कतें होती है और इस बारे में प्रशासन को कई बार अवगत भी कराया गया।
फिलहाल बेस्ट के प्रवक्ता मनोज वरडे ने बताया कि एक बैंक के साथ दो या तीन दिनों में समझौता होगा जिसके बाद बैंक नकदी संग्रह का काम करेगा।
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