सिंघु बॉर्डर पर एक शख्स की निर्मम हत्या ने पूरे देश में सनसनी मचा दी है। किसी व्यक्ति या समूह का ऐसा भयावह रूप देखकर हर कोई सन्न है। इस हत्या को उसी सिंघु बॉर्डर पर अंजाम दिया गया जहां पिछले कई महीनों से किसान आंदोलन चल रहा है। मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जहां हत्या हुई है उसके कुछ ही दूरी पर किसानों की सभा के लिए स्टेज का निर्माण किया गया है। इस हत्या को किसान आंदोलन से जोड़ के देखा रहा है लेकिन किसान यूनियन ने प्रेस के माध्यम ने इस पूरी घटना से अपनी कन्नी काट ली है। किसान नेताओं का कहना है की उनका इस घटना से कोई लेना देना नहीं है बल्कि वो इस घटना की निंदा करते हैं।
निहंगों ने की हत्या:
सिंघु बॉर्डर पर हुई निर्मम हत्या पर पुरे देश में इसके दोषियों के खिलाफ आक्रोश का माहौल है। सोशल मीडिया पर इस निर्मम हत्या की तस्वीर तेजी से फैली और जिसने भी ये तस्वीर देखी उसे इस घटना की घोर निंदा की। इस घटना के सामने आने के बाद ये आरोप लगाया गया कि निहंग सिखों ने रूह कंपा देने वाली इस घटना को अंजाम दिया है। अब चूंकि एक निहंग सरबजीत सिंह ने इस हत्या की जिम्मदारी ले ली है तो यह साफ़ हो गया है इस हत्या में निहंगों का ही हाथ था। शुक्रवार को हत्या करने वाले निहंग सरबजीत सिंह ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। उसका कहना है कि मरने वाले व्यक्ति ने गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान किया था।
कौन हैं ये निहंग ?
निहंग सिख समुदाय से आते हैं। निहंग फारसी का शब्द है जिसका अर्थ मगरमच्छ, कमल और तलवार होता है लेकिन इनकी विशेषता संस्कृत के शब्द निशंक से ज्यादा मिलती जुलती मालूम पड़ती है जिसका अर्थ निडर और शुद्ध होता है। अगर तथ्यों के तह तक जाएं तो पता चलता है कि सिखों के इस सबसे आक्रामक तबके को ये नाम मुगलों ने दिया था। मुगलों ने इसके पीछे ये तर्क दिया कि जिस तरह से पानी में मगरमच्छ को हराना मुश्किल होता है ठीक उसी तरह युद्ध में निहंगों को मात देना आसान काम नहीं है।
क्या कहता है इतिहास ?
निहंग सिखों को ऐसा लड़ाका बनाने का श्रेय सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह को जाता है। गुरु गोविंद सिंह के चार बेटे थे अजित सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह। फतेह सिंह उनमे सबसे छोटे थे। माना जाता है कि एक बार तीनों बड़े भाई आपस में युद्ध का अभ्यास कर रहे थे। उसी दौरान फतेह सिंह भी वहां पहुंचे और युद्ध कला सीखने की इच्छा जताई लेकिन उनके भाइयों ने इन्हे वहां से ये कहकर हटा दिया कि युद्धकला को सीखने के लिए वो अभी काफी छोटे हैं। कहा जाता है कि अपने तीनों बड़े भाइयों की इस बात पर फतेह सिंह नाराज हो गए। वो घर के अंदर गए और वहां रखा नीले रंग का लिबास पहना और सिर पर एक बड़ी सी पगड़ी बांधी और हाथों में तलवार और भाला लेकर पहुंच गए।
उन्होंने अपने भाइयों से कहा कि अब वो लंबाई में तीनों के बराबर हो गए हैं। गुरु गोविंद सिंह जी ये सब बहुत ध्यान से देखकर रहे थे ।वे फ़तेह सिंह के बहादुरी से बेहद प्रभावित हुए। उन्होंने फिर चारों बेटों को एक साथ युद्ध कला सिखाई। मान्यता है कि फतेह सिंह ने अपने बड़े भाइयों की बराबरी करने के लिए जो नीले रंग का चोला पहना था निहंग सिख आज वही चोला पहनते हैं तथा उन्होंने जो हथियार उठाया था निहंग सिख भी आज उसी हथियार के साथ दिखते हैं। निहंग अपने धर्म की रक्षा के लिए सदैव समर्पित रहते हैं लेकिन हाल के दिनों में निहंगों ने काफी कुछ ऐसा कर दिया है जिससे इनकी छवि को काफी नुकसान पहुंचा हैं।
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(रिपोर्ट- अभिनव त्रिपाठी)