नई दिल्ली–मध्य प्रदेश MP Politics में कमलनाथ सरकार के बहुमत परीक्षण को ले कर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज भी जारी रही। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायकों को बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकता है ।
सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी की याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने भाजपा के अधिवक्ता की उस मांग को ठुकरा दिया जिस में विधायकों से मिलने के लिए रजिस्टार जनरल को भेजने की अपील अदालत से की गई थी । बीजेपी ने याचिका दायर याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट कमलनाथ सरकार को तत्काल बहुमत साबित करने का निर्देश दे।
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के सामने विधायकों से मिलने का प्रस्ताव रखा गया था जिसे अदालत ने ख़ारिज कर दिया। इसके साथ ही अदालत ने विधायकों से मिलने के लिए रजिस्टार जनरल को भी भेजने से मना कर दिया। इस मामले की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी।
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बीजेपी का कहना है कि कमलनाथ सरकार के साथ पर्याप्त विधायक नहीं हैं। दूसरी तरफ़ कांग्रेस ने कोर्ट में दावा कि बीजेपी MP Politics हथियाने के लिए लोकतंत्र को बर्बाद कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने कांग्रेस का पक्ष रक्खा ।
दुष्यंत दवे ने कोर्ट में आरोप लगाया कि बीजेपी ने कांग्रेस के विधायकों का अपहरण कर लिया है और 15 महीने पुरानी सरकार को अस्थिर करने की साज़िश कर रही है।कांग्रेस चाहती है कि जिन छह विधायकों के इस्तीफ़े स्वीकार कर लिए गए हैं वहां पहले उप-चुनाव हो जाए और उप-चुनाव संपन्न होने तक बहुमत परीक्षण को टाल दिया जाए।
दुष्यंत दवे ने कोर्ट में प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन के निर्देश को असंवैधानिक बताया। दुष्यंत दवे ने कहा कि राज्यपाल का पूरे मामले में जो रवैया रहा है वो लोकतंत्र के ख़िलाफ़ है।
इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के बहुमत परीक्षण पर कहा है कि 16 बाग़ी विधायक विधानसभा में बहुमत साबित करने की प्रक्रिया में शामिल हों या नहीं हों लेकिन उन्हें क़ैद करके नहीं रखा जा सकता है ।