लखनऊ–केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि 20 अप्रैल के बाद राज्य में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजनान्तर्गत (MNREGA) कन्टेनमेन्ट क्षेत्र के बाहर कार्य प्रारम्भ किए जाएंगे।
यह भी पढ़ें-आज से दूरदर्शन पर ‘रामायण’ की जगह टेलीकास्ट होगा ‘उत्तर रामायण’
इसके लिए केंद्र सरकार की सभी गाइडलाइन का पालन किया जाएगा। यही नहीं, शहरों से लौटे ग्रामीणों को मनरेगा (MNREGA) के तहत तत्कात जाबकार्ड भी मुहैया करवाया जाएगा। जिससे उन्हें गांव में ही काम और रोजगार मिल सकेगा।
ग्राम्य विकास विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि वर्तमान में कोविड-19 के कारण बडी संख्या में शहरों से ग्रामीण परिवारों की वापसी हुई है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य दैनिक रोजगार परक गतिविधियों में संलग्न ग्रामीण परिवारों के समक्ष भी भरण पोषण की समस्या की संभावना उत्पन्न हुई है। शहरों से गांव वापस आया परिवार यदि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना (MNREGA) के तहत कार्य करना चाहता है, तो उसे तत्कात जाबकार्ड निर्गत कराया जाएगा। यही नहीं यदि शहर से लौटे किसी व्यक्ति का नाम परिवर के जाबकार्ड मे नहीं है तो उसका नाम जाबकार्ड में जोड़े जाने की तत्काल कार्यवाही की जायगी।
इसके अतिरिक्त जिन परिवारों को पूर्व में जाबकार्ड (MNREGA) निर्गत किया गया था, लेकिन किसी कारणवश वर्तमान में उपलब्ध नहीं है, अथवा नष्ट हो गया है। ऐसे परिवारों को जाबकार्ड की द्वितीय प्रति उपलब्ध कराई जाएगी। ग्राम पंचायत में जाबकार्ड निर्गत करते समय समाज के वंचित परिवारों जैसे मुसहर, बनटांगिया, थारू, विधवा महिलाओं एवं दिव्यांग मुखिया परिवारों को प्राथमिकता प्रदान करते हुए जाबकार्ड उपलब्ध करा कर रोगार प्रदान किया जाएगा।
सोशल डिस्टेसिंग का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करते हुए श्रमिकों को कार्य स्थल पर कार्य-माप के अनुसार रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा। कार्य स्थल पर कार्यरत श्रमिकों एवं कर्मियों द्वारा मास्क/होम मेड फेस मास्क/ फेस कवर का अनिवार्य रूप से प्रयोग किया जायेगा। कार्यस्थल पर हाथ धोने के लिए पानी एवं साबुन की व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए क्षेत्रीय कर्मचारियों द्वारा श्रमिकों को जागरूक किया जाएगा।
इस अवधि में प्रारम्भ किये जाने वाले कार्यों में सिंचाई एवं जल संरक्षण तथा व्यक्तिगत लाभार्थी से सम्बन्धित कार्यो को प्राथमिकता प्रदान की जायेगी। बुंदेलखंड और विन्ध्य क्षेत्र में व्यक्तिगत एवं सामुदायिक सिंचाई कूपों का निर्माण के साथ चेकड़ैम एवं फार्म पांड का निर्माण किया जाएगा। वर्षा जल संरक्षण हेतु भूगर्भ जल संचयन स्ट्रक्चरों का निर्माण कार्य होगा। तालाबों की सिल्ट सफाई का कार्य किया जाएगा। सिंचाई गुलों नहरों की सफाई से संबंधित कार्य के साथ वृक्षारोपण के लिए अग्रिम मृदा कार्य किए जाएंगे। चारागाह विकास से सम्बन्धित कार्य भी करवाए जाएंगे।
प्रदेश की 16 नदियां (टेढी, मनोरमा, पाण्डु, वरूणा, ससुर खदेडी, सई, गोमती अरिल, मोरवा, मन्दाकिनी, तमसा, नाद, कर्णावती, बान, सोत एवं काली पूर्वी) जो 39 जनपदों बहराइच, गोण्डा, बस्ती औरेया, कन्नौज, कानपुर नगर, कानपुर देहात, प्रतापगढ़, फतेहपुर, प्रयागराज, भदोही, वाराणसी, कौशाम्बी, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, लखनऊ, जौनपुर, लखीमपुरखीरी, सीतापुर, शाहजहांपुर, पीलीभीत, बदायूँ, बरेली, चित्रकूट, अयोध्या, अम्बेडकर नगर, मीरजापुर, बिजनौर, मुरादाबाद, सम्भल, मेरठ, हापुड़, बुलन्दशहर, अलीगढ, एटा, कासगंज एवं अमरोहा में प्रवाहित होती है, उन नदियों को पुनरोद्धार के कार्य के लिए चयनित किया गया है। चूंकि चयनित नदियां जनपदों की कई ग्राम पंचायतों से होकर गुजरती है। अतः इन परियोजनाओं पर सोशल डिस्टेंसिंग का बेहतर ढंग से प्रयोग करते हुए कार्य कराया जा सकता है।
व्यक्तिगत एवं सामुदायिक भूमि सुधारों से सम्बन्धित कार्य किया जाएगा। जल भराव से सम्बन्धित क्षेत्रों में नालों का निर्माण एवं पुनरोद्धार का कार्य होगा। सिंचाई एवं जल संरक्षण से सम्बन्धित अन्य विभागों जैसे लघु सिंचाई/भूगर्भ जल विभाग/वन विभाग द्वारा विभागीय कन्वर्जेंस के अन्तर्गत चयनित परियोजनाओं पर कार्य किया जाएगा। उपरोक्त श्रेणी के कार्यों को वरीयता दी जायगी, जिससे कि ज्यादा से ज्यादा स्थाई परिसम्पत्तियों का सृजन करते हुए रोजगार उत्पन्न हो सके।