मेरठ — गुजरात के सूरत में हुए दर्दनाक हादसे के बाद भी मेरठ की सूरत बदलने को तैयार नही है। ना तो यहाँ का प्रशासन कोई ठोस कदम उठा रहा है और ना ही यहाँ के व्यापारियों को कोई सबक मिला है।
जी हाँ, उद्योगिक क्षेत्र कहे जाने वाला मेरठ सुरक्षा के मायने ही नही जानता। व्यापारी कमाई करने के लिए संस्थान या बड़े बड़े प्रतिष्ठान या फैक्ट्री, गोदाम तो बना लेते हैं लेकिन वहाँ सुरक्षा के इंतजाम करना भूल जाते हैं।
ताज़ा मामला है मेरठ के कोतवाली इलाके के इंदिरा चौक का जहाँ भगवती फर्नीचर के कॉम्लेक्स में अचानक आग लग गई । आग इतनी भयानक थी कि आसपास के कई घरों को अपनी चपेट में ले लिया । लोगों ने घरों से बाहर दौड़कर अपनी जान बचाई। मौके पर पहुँची आधा दर्जन से ज्यादा अग्निशमन की गाड़ियों ने करीब तीन घण्टे में आग पर काबू पाया तब तक गोदाम में रखा सारा माल जलकर स्वाहा हो चुका था।
बता दें कि इंदिरा चौक पर भगवती फर्नीचर का शोरूम है और शोरूम के ऊपरी दो मंजिल पर गोदाम है। जबकि गोदाम का रास्ता पीछे रिहायशी इलाके से बनाया गया है और हैरत की बात तो ये है कि यहाँ एक्ज़िट और एंट्री का भी एक ही रास्ता है। सुरक्षा के नियमों को मुँह चिढ़ाने वाली बात तो ये भी है कि फ़ायर विभाग से एनओसी तक नही ली गई।
छोटी छोटी गलियों में बने इस गोदाम में जब आग लगी तो अग्निशमन की गाड़ियां भी अंदर नही पहुंच पाई । बड़ी मुश्किल से पाइप लेकर फ़ायर कर्मी अंदर पहुंचे और आसपास के घरों की छत पर चढ़कर अपनी जान ज़ोखिम में डालते हुए आग पर काबू पाया।
लेकिन इस आग ने आसपास के लोगों को बेघर कर दिया। आसपास के सभी घरों की दीवारों में आग की वजह से तरेड़ आ गई तो कई घरों की छत भी चूने लगी। लोंगो को डर है कि कहीं उनके ये मकान ढह ना जाये इसलिए लोगों ने घरों से बाहर निकलकर अपनी जान बचाई और अब रात भी सड़क पर बैठकर या किसी रिश्तेदारों के घर जाकर गुजारेंगे। वहीं किसी प्रसासनिक अधिकारी के मौके पर आकर इन लोगों की सूझ ना लेने पर लोंगो में काफी आक्रोश भी देखने को मिला है।
लेकिन सवाल ये खड़ा होता है कि शहरभर में लगभग 80% चल रहे प्रतिष्ठानों में सुरक्षा के कोई भी मानक पूरे नही हैं तो प्रसाशन क्यों इन पर कार्यवाही नही करता? क्या अधिकारियों के रहमो करम पर ही सब अवैध प्रतिष्ठान चल रहे हैं।
(रिपोर्ट- प्रदीप शर्मा,मेरठ)