उत्तर प्रदेश में पुलिसकर्मियों की आत्महत्या का सिलसिल थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस कड़ी में 10 माह से सस्पेंड चल रहे हापुड़ में तैनात एक दारोगा की जहर खा लिया। जिसके बाद परिजनों ने न्यूटिमा हॉस्पिटल में भर्ती कराया जहां दारोगा की मौत हो गई।
ये भी पढ़ें..एसपी ने सिपाही को दी गंदी-गंदी गालियां, बोले- छाती पर चढ़कर मारू गोली तुम्हें..Audio वायरल
बिल को लेकर हंगामा…
दारोगा की मौत के बाद बिल को लेकर अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ। सूचना पर मेडिकल पुलिस मौके पर पहुंची और अस्पताल प्रबंधन से बात करने के बाद बिल के 70 हजार रुपये माफ करवा दिये। बाद में परिजनों ने दारोगा को सुपुर्दे कर दिया।
10 माह से निलंबित चल रहे थे दारोगा
मेडिकल थाना प्रभारी ने बताया कि संभल जिले के गांव एंचौला निवासी 30 वर्षीय मिक्की मियां दारोगा थे। इस वक्त वो हापुड़ के बहादुरगढ़ थाने में थे। पुलिस ने बताया कि 10 माह से वह निलंबित चल रहे थे।
मंगलवार को उन्होंने जहर खा लिया था। घर वालों ने उनको पहले हापुड़ में भर्ती कराया और बाद में उनको न्यूटिमा हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया था। एसओ ने बताया कि शनिवार सुबह उनकी मौत हो गई।
भाई फैसल ने बताया कि तीन दिन से मिक्की मिंया का न्यूटिमा में इलाज चल रहा था। शुक्रवार तक तीन लाख रुपये जमा करा दिए गये थे। सुबह मौत होने पर न्यूटिमा स्टाफ ने उन्हें 70 हजार रुपये का और बिल जमा करने को कहा। इस बात को लेकर बहस हुई और हंगामा शुरू हो गया।
तीन दिन में तीन लाख 70 हजार बिल
परिजनों ने शास्त्रीनगर एल ब्लॉक चौकी इंचार्ज पवन गंगवार और हापुड़ से दारोगा अजहर खान को भी बुला लिया। शव न देने पर हंगामा किया। पुलिस का कहना है कि परिजनों का आरोप था कि तीन दिन में हॉस्पिटल ने तीन लाख 70 हजार रुपये का बिल बना दिया।
उसके बावजूद डॉक्टरों की लापरवाही के चलते उनकी मरीज की जान नहीं बची। हालांकि हंगामे के बाद न्यूटिमा ने 70 हजार रुपये छोड़ दिए और शव उनके सुपुर्द कर दिया। बाद में परिजनों ने शव को सुपुर्दे-ए-खाक कर दिया।
ये भी पढ़ें..महिला कांस्टेबल के साथ अश्लील हरकतें करता था इंस्पेक्टर, न्याय के लिए अफसरों के काट रही चक्कर
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। )