गरीब का दर्द गरीब ही समझ सकता है और अब हमारा मालिक तो सिर्फ भगवान है। ऐसा कहना है भारतीय वाल्मीकि आदि धर्म समाज के लोगों का। जो इस कोरोना काल में योद्धा बनकर जंग लड़ रहे हैं और लोगों को कोरोना के कहर से बचा रहे हैं। इतना ही नहीं अब यह लोग गरीब मजदूरों के लिए राशन की व्यवस्था तक कर रहे हैं।
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दरअसल 24 मई 1964 को ऋषि नाथ रत्नाकर महाराज द्वारा स्थापित भारतीय वाल्मीकि आदि धर्म समाज के 56 वें स्थापना दिवस पर भारतीय वाल्मीकि आदि धर्म समाज के लोगों ने गरीब और बेसहारा लोगों की मदद के लिए कदम बढ़ाते हुए खाद्य सामग्री का इंतजाम किया और मेरठ प्रशासन को सौंप दिया ताकि जरूरतमंद लोगों तक यह खाद्य सामग्री पहुंच सके और मेरठ में कोई भूखा ना रहे। इसके अलावा मीडिया से बात करते हुए भारतीय वाल्मीकि आदि धर्म समाज के इन योद्धाओं का दर्द भी उनके दिल से निकलकर ज़ुबान पर आ गया।
वाल्मीकि समाज ने सरकार से की मांग…
उनका कहना है कि वाल्मीकि समाज गरीब और बेसहारा है इनका तो अब भगवान ही मालिक है। इसके अलावा उन्होंने सरकार से विनती की है कि जो सफाई कर्मचारी अपने और अपने परिवार की जान की परवाह ना करते हुए इस कोरोना संकट में भारत मां की सेवा कर रहे हैं तो कम से कम उनकी आउटसोर्सिंग समाप्त करके उनकी संविदा को बहाल किया जाए ताकि वह भी अपने परिवार का पालन पोषण ठीक प्रकार से कर सकें।
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(रिपोर्ट- सागर कुशवाहा,मेरठ)