कानपुर देहात–कानपुर देहात में मयूर कम्पनी के आगे सारे अधिकारी नतमस्तक हो गए और एक वकील की तरह मयूर कम्पनी की पैरोकारी करने लगे। दरअसल मयूर कम्पनी में हज़ारो बोरे सरकारी अनाज बरामद हुआ, लेकिन मयूर कम्पनी के रसूख के आगे सारे सबूत बौने साबित हुए ।
कानपुर देहात के रनिया इंडस्ट्रीयल इलाके के मयूर कम्पनी की शाखा कुशल एग्रो फैक्ट्री में हज़ारो बोरी सरकारी अनाज बरामद हुआ है । ये वो अनाज है जो मुफ़लिस गरीब लोगों की थाली में होना चाहिए लेकिन सरकारी अनाज की कालाबाज़ारी के चलते ये हज़ारो बोरे सरकारी अनाज मयूर फैक्ट्री के अंदर रक्खा मिला । दरअसल सरकारी अनाज की बोरियो से अनाज निकाल कर गोकुल नाम की बोरियो में भर कर सरकारी अनाज को बाजार में बिकने वाला अनाज बना दिया जाता था। मयूर कम्पनी की शाखा कुशल एग्रो फैक्ट्री में बिस्किट, मैदा और चोकर बनता था जो सरकारी अनाज से बनाया जाता था ।
इस संदर्भ में जब हमने मंडी सहायक से बात की तो वो मयूर कम्पनी के पैरोकार बन गए और बिना जांच कर सब कुछ सही बता दिया कि फैक्ट्री में सरकारी अनाज की कोई कालाबाज़ारी नही पायी गयी ।उनका कहना था कि सरकारी बोरिया बिकती है ।उसका उपयोग कोई भी कर सकता है ।
यहां तक कि एसडीएम साहब भी मयूर कम्पनी के वकील बन गए । एक बार भी इनके मुह से नही निकला कि सरकारी अनाज की कालाबाज़ारी पायी गयी है बल्कि खुद ही जांच कर ली। बिना सैम्पलिंग के मयूर को क्लीन चिट दे दी और अपना दामन पाक साफ रखते हुए हमसे कहा कि क्या आपको अपने एस डी एम पर भरोसा नही है ।
इस अफसरशाही ने साबित कर दिया कि सारे नियम सारे कायदे कानून गरीब आदमी के लिए है और मयूर जैसे बड़े ब्रांड गरीबो का निवाला ऐसे ही छीनते रहेंगे और अफसर तमाशाबीन बन कर खड़े रहेंगे। अगर किसी आम आदमी के घर से भी सरकारी अनाज की महज़ चंद बोरिया निकल आती तो यकीनन अब तक उस पर पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन के अधिकारी कहर बन कर टूट चुके होते।
(रिपोर्ट-संजय कुमार, कानपुर देहात)