..जब महापौर ने सड़क किनारे कांप रहे मजदूरों को अपनी गाड़ी से पहुँचाया रैन बसेरे

लखनऊ–जब लखनऊ का पारा 1 डिग्री से भी नीचे था, ऐसी भीषण ठंड में कांप रहे व्यक्तियों को देखकर महापौर ने तत्काल अपनी गाड़ी रुकवाकर, उन व्यक्तियों के पास स्वयं पहुँची और उनका हालचाल पूछा।

महापौर को मध्य रात्रि एक कार्यक्रम से घर वापस आते समय आलमबाग के टेढ़ी पुलिया चौराहे पर सड़क किनारे खुले आसमान के नीचे जमीन पर पट्टी डाल कर आग के सहारे रात्रि काट रहे 2 व्यक्ति दिखाई दिए। जिनके नाम क्रमशः आलोक कुमार और सुरेश थे। पूछताछ करने पर महापौर को पता चला कि वह दोनों व्यक्ति बाराबंकी से लखनऊ मजदूरी करने आये थे और भीषण कड़ाके की ठंड में सर ढंकने की जगह न होने के कारण फुटपाथ पर ही किसी तरीके से रात गुजारने के प्रयास कर रहे थे।

महापौर ने उन दोनों व्यक्तियों को स्वयं अपनी गाड़ी में साथ बिठाकर कर पास के ही संत कंवर राम चौराहे पर बने रैन बसेरा में स्थान और बिस्तर दिलाया, साथ ही उन्हे अब से रैन बसेरे में ही सोने के लिए कहा। दोनों व्यक्तियों ने महापौर को सहृदयता के लिए भावुक होते हुए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि वीआईपी की गाड़ी में बैठने का सपना तक नही देखा था परंतु महापौर ने आज बिन मांगे ही मुराद पूरी कर दी।

ज्ञात हो कि महापौर ने कल सायं भी रैन बसेरों में नव वर्ष की मिठाई बांटी थी ,उस समय रैन बसेरे के बाहर जमीन पर सो रहे बीमार एवं अर्धविछिप्त आश्रयहीन व्यक्ति को महापौर ने स्थानीय लोगों की मदद से रैन बसेरे में लेकर आयी थी और उसके प्राथमिक उपचार की व्यवस्था की थी, साथ ही राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय में भर्ती भी कराया था।

mayor drove the workers
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