लखनऊ — बसपा सुप्रीमों व पूर्व मुख्यमंत्री को बड़ी राहत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को उनके खिलाफ दायर जनहित याचिका को ख़ारिज कर दिया. माया पर नोएडा के बादलपुर गांव की जमीन को अधिग्रहण मुक्त कराकर बेचने का आरोप था. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से इस जमीन पर हुए अवैध निर्माण की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी.
उधर इस मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंण्डपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया. इससे पहले 2017 में हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम मायावती इनके पिता प्रभु दयाल व भाई आनन्द कुमार को नोटिस जारी किया था. दरअसल माया पर आबादी की 47433 वर्गमीटर खेती की जमीन को आबादी घोषित कराकर करोड़ों के मुआवजे के घोटाले का आरोप है.
गौरतलब है कि इस जमीन पर बसपा सुप्रीमो मायावती का विशाल भवन बना हुआ है. जिस जमीन पर भवन बना हुआ है, पहले वह मायावती और उनके पिता प्रभुदयाल के नाम पर थी. हालांकि, बाद में मायावती ने दान रजिस्ट्री से इसे अपने भाई आनंद कुमार व एक अन्य के नाम करा दिया था.याचिका में आरोप लगाया गया था कि मायावती ने सत्ता का दुरुपयोग कर जमीन का प्राधिकरण से आवंटन कराया है. मायावती ने 2002 से 2005 के बीच गांव के आधा दर्जन किसानों से पचास बीघा जमीन खरीदी थी. आरोप है कि जमीन पर बिना किसी निर्माण धारा-143 (आबादी) घोषित करा दी गई.जिसको लेकर याचिकाकर्ता ने सीबीआई जांच की मांग की थी जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.