लखनऊ —लोकसभा और विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद यूपी में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे बीएसपी और कांग्रेस ने अब एक बार फिर से जमीन से शुरुआत करने की योजना बनाई है। इसके तहत ही बीएसपी दो दशक में पहली बार यूपी में निकाय चुनाव में पार्टी सिंबल पर उम्मीदवार उतारने जा रही है।
वहीं, कांग्रेस ने भी इन चुनावों में पूरी मजबूती के साथ उतरने का फैसला लिया है। निकाय चुनावों के प्रति अब तक उदासीन रहने वालीं मायावती इस बार लखनऊ में ही कैंप करेंगी और चुनावी तैयारियों एवं उम्मीदवारों के चयन पर पूरी नजर रखेंगी। मायावती इन दिनों राजधानी लखनऊ में डटी हुई हैं और लगातार जोन और डिविजन स्तर के कार्यकर्ताओं से मीटिंग कर रही हैं। पहली बार अपने चिह्न पर स्थानीय निकाय चुनाव लड़ रही बीएसपी और अपने खोये जनाधार को हासिल करने की जद्दोजहद कर रही कांग्रेस के लिए इन चुनावों को गंभीरता से लेना वक्त का तकाजा भी है। पिछले लोकसभा चुनाव में जहां बीएसपी का खाता भी नहीं खुला था, वहीं गत विधानसभा चुनाव में 403 में से उसे महज 19 सीटें ही हासिल हुई थीं। कांग्रेस का भी कमोबेश यही हाल हुआ था। उसे लोकसभा चुनाव में प्रदेश से सिर्फ दो और विधानसभा चुनाव में महज सात सीटें ही मिल सकी थीं।
पहली बार अपने चिह्न पर स्थानीय निकाय चुनाव लड़ रही बीएसपी और अपने खोये जनाधार को हासिल करने की जद्दोजहद कर रही कांग्रेस के लिए इन चुनावों को गंभीरता से लेना वक्त का तकाजा भी है। पिछले लोकसभा चुनाव में जहां बीएसपी का खाता भी नहीं खुला था, वहीं गत विधानसभा चुनाव में 403 में से उसे महज 19 सीटें ही हासिल हुई थीं। कांग्रेस का भी कमोबेश यही हाल हुआ था। उसे लोकसभा चुनाव में प्रदेश से सिर्फ दो और विधानसभा चुनाव में महज सात सीटें ही मिल सकी थीं।
ऐसे में इस माह के अंत में प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव इन पार्टियों के लिए अपने खोए जनाधार को दोबारा हासिल करने का मौका होने के साथ-साथ चुनौती भी है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहे जा रहे इस चुनाव में मिली जीत जहां इन पार्टियों को सूबे में उम्मीद की किरण मुहैया कराएगी, वहीं एक और नाकामी उनके मनोबल पर गहरा असर डाल सकती है।
खासतौर पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती इन चुनावों को बेहद गंभीरता से ले रही हैं। प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप दिया जा रहा है। ज्यादातर टिकट मायावती ही तय करेंगी। पहली सूची दो-तीन दिन में जारी हो सकती है। उन्होंने बताया कि नगरीय निकाय चुनाव में बसपा के वरिष्ठ नेता लालजी वर्मा, राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ, पूर्व मंत्री नकुल दुबे, प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, पूर्व मंत्री अनन्त मिश्रा तथा शमसुद्दीन राइन, पार्टी प्रत्याशियों के लिए प्रचार करेंगे। हालांकि मायावती प्रचार के मैदान में उतरेंगी या नहीं, यह अभी तय नहीं है।