लखनऊ — 132वें मज़दूर दिवस के अवसर पर मज़दूरों के सबसे बड़े त्योहार के गौरवशाली इतिहास के बारे में लखनऊ के मज़दूरों के बीच जागरूकता फैलाने के मक़सद से बिगुल मज़दूर दस्ता ने दो दिन का एक सघन अभियान चलाया। यह अभियान 30 अप्रैल की सुबह से शुरू होकर पहली मई की शाम तक चला।
इस अभियान के दौरान मज़दूरों के बीच एक पर्चा भी वितरित किया गया जिसमें मई दिवस के इतिहास का विस्तार से वर्णन किया गया है कि किसी प्रकार एक मई 1886 को अमेरिका के शिकागो शहर के लाखों मज़दूरों ने अपने काम के घंटे आठ करने की माँग को लेकर जो संघर्ष छेड़ा था वो पूरी दुनिया में फैल गया। मालिकान ने मज़दूरों की लड़ाई को कुचलने के लिए लाठी-गोली और बम-बंदूक का सहारा लिया लेकिन मज़दूरों की एकजुटता के आगे उनके सारे प्रयास विफल हो गए।
दुनिया भर में मज़दूरों के अधिकारों के लिए जो श्रम कानून बने वो ऐसे ही आन्दोलनों की देन है। सभाओं के दौरान बिगुल मज़दूर दस्ता के कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह अफ़सोस की बात है आज श्रम सुधारों के नाम पर हिन्दुस्तान सहित दुनिया के तमाम देशों में मज़दूरों से उनके तमाम अधिकार छीने जा रहे हैं। ऐसे में मज़दूरों को एक बार फिर से अपनी एकजुटता दिखानी होगी और संगठित प्रयासों के ज़रिये अपने अधिकारों को हासिल करना होगा।
इस अभियान में बिगुल मज़दूर दस्ता की टोली शहर के विभिन्न हिस्सों में मज़दूरों के बीच गई और जनसभाओं, क्रान्तिकारी गीतों, नारों और पर्चों के माध्यम से मई दिवस की विरासत के बारे में मज़दूरों को बताया। अभियान की शुरुआत 30 अप्रैल की सुबह डालीगंज स्थित लेबर चौक पर हुई। उसके बाद खदरा में बड़ी पगड़िया और सात फुटा के पास के लेबर चौक में मज़दूर दिवस का संदेश लेकर पहुँची। 1 मई के दिन तालकटोरा औद्योगिक क्षेत्र और गढ़ी कनौरा, भरतपुरी और अंबेडकरनगर जैसे रिहायशी इलाकों में अभियान चलाया गया।
(रिपोेर्ट-अखिल कुमार,लखनऊ)