जिलहिज्ज (ईद उल अज़हा) का चाॅद 21 जुलाई को देखा जायेगा। अगर इस रोज़ चाॅद हो गया तो 31 जुलाई को वरना 01 अगस्त को ईद उल अज़हा पूरे देश में मनायी जायेगी।
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इस सिलसिले में इमाम ईदगाह व काज़ी शहर लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली चेयरमैन इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को एक पत्र भेजकर माॅग की है कि ईद उल अज़हा के अवसर पर पूरे प्रदेश और देश में मुसलमान नमाज़ अदा करते हैं और कुर्बानी जो एक धार्मिक कर्तव्य है, उसको अंजाम देते हैं। कुर्बानी उन्ही जानवरों की की जाती है जिनकी कानूनी तौर पर इजाजत है। इसलिए इस साल भी पूरे प्रदेश में जहाॅ जहाॅ पहले से कुर्बानी के जानवरों की मण्डियाॅ लगती चली आ रही हैं उनको पहले की तरह लगने दिया जाए और कोविड-19 को देखते हुए इन मण्डियों में भी सैनेटाइजेशन, सोशल डिस्टेंन्सिंग और मास्क के प्रयोग को अनिवार्य किया जाए।
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मौलाना फरंगी महली ने कहा कि गाॅव और दीहात में रहने वाले किसान बड़ी संख्या में जानवरों को पालते हैं और ईद उल अजहा के अवसर पर शहरों में लाकर बेचते हैं। यही उनकी रोजी रोटी का साधन है। इस लिए जिला प्रशासन को हिदायत दी जाए कि उनको जानवरों के लाने, ले जाने और बेचने में कोई रुकावट न पैदा की जाए और उनको हर सम्भव सुहूलत दी जाए।
मौलाना खालिद रशीद ने यह भी माॅग की है कि तमाम इबादतगाहों में उनकी गुंजाइश को देखते हुए 50 प्रतिशत इबादत करने वालों को एक समय में जाने की अनुमति दी जाए। अगर रोग बढ़ने का खतरा न हो तो ईद उल अज़हा की नमाज़ के लिए पूरे प्रदेश की तमाम ईदगाहों और मस्जिदों में भी 50 प्रतिशत गुंजाइश के अनुसार नमाजियों को नमाज़ अदा करने की इजाजत दी जाए। उन्होने कहा कि इस वबा को देखते हुए सुरक्षा के उपायों में से एक यह है कि कुर्बानी के समय भी एक स्थान पर 5 से अधिक लोग जमा न हों।
मौलाना फरंगी महली ने अवाम से अपील की कि जिस तरह शब-बरात, रमजान और ईद उल फित्र से लेकर अब तक सुरक्षा के उपायों पर हम सबने अमल किया है, इसी तरह ईद उल अज़हा के अवसर पर कुर्बानी के सिलसिले में भी अमल करें। 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे और 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग कुर्बानी के जानवरों को खरीदने व बेचने में शामिल न हों। हर साल की तरह इस साल भी गलियों और अवामी रास्तों के किनारों पर कुर्बानी न करें।