मथुरा — उत्तर प्रदेश में पुलिस और अपराधियों की मिली भगत का एक मामला सामने आया है जिसमे पाॅक्सो कोर्ट ने एक मामले में आरोपी की गिरफ्तारी न होने, जांच में लापरवाही बरतने तथा वादी द्वारा विवेचक पर लगाए गए गंभीर आरोपों पर कड़ा रूख अपनाया है।
अदालत ने तत्कालीन थानाध्यक्ष प्रमोद पंवार के खिलाफ पॉक्सो एक्ट मे मुकदमा और विवेचना कर रहे सीओ छाता चंद्रधर गौड़ को छह माह का कारावास तथा 1000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। सीओ को कार्यमुक्त करने के लिए गृहसचिव को पत्र लिखा गया है।
योगी सरकार भले ही जानता महिलाओ और बेटियों की सुरक्षा के दावे करती हो लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस की छवि सुधरने का नाम नहीं ले रही ताजा मामला छाता थाने का है। यहां वादी द्वारा न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया गया कि जिसमें उसने कहा कि मुकदमें में गवाह उसे डरा धमकाकर राजीनामा करने व जान से मारने की धमकी दे रहे है। वादी ने कहा कि उसने सीआरपीसी 161 के बयान में विवेचक को उस तत्कालीन थानाध्यक्ष प्रमोद पंवार का नाम बताया जिसने उसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की।
लेकिन जांच अधिकारी ने उस पुलिस कर्मी को बचाने के लिए उसके गलत बयान दर्ज कर लिए। इस मामले मेें कोर्ट ने 18 सितंबर को सीओ छाता चंद्रधर गौड़ को आदेश दिया कि वो अभियुक्त ईश्वर दयाल को तुरंत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करें। वादी का 161 का बयान एक बार फिर दर्ज करें और इसकी आॅडियो वीडियो रिकाॅर्डिंग करें। इस मामले में सीओ को न्यायालय ने तलब किया।
वहीं न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने सीओ छाता चंद्रधर गौड़ पर दोष सिद्ध होने के बाद उन्हें 6 माह का कारावास और एक हजार रूपया अर्थदंड की सजा सुनाई। आदेश में कहा गया कि जुर्माना अदा न करने की स्थिति में 10 दिन का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। इस आदेश के अनुपालन के लिए गृहसचिव को पत्र लिखने का आदेश दिया गया है ताकि सीओ को कार्यमुक्त किया जा सके। इसके बाद उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार एनबीडब्लू जारी किए जाएंगे। वही कोर्ट ने एसएसपी को आदेशित किया है कि पीड़िता और उसके परिवार वालों को उचित सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराएं। सीओ चंद्रधर गौड़ की अभियुक्त को लाभ पहुंचानी वाली कार्यशैली को लेकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग, राज्य बाल संरक्षण आयोग को अवगत कराया जाए।
यही नहीं कोर्ट ने कहा कि अगर मामले के गवाह सुंदर व मानो के द्वारा वादी पर सुलहनामे का दबाव बनाया जा रहा हो तो उनके विरूद्ध इसी अपराध संख्या में धारा 195 क में विवेचना करें। वादी ने न्यायालय ने प्रार्थना पत्र दिया जिसमें इस मुकदमें में गवाह सुंदर व मानो पर डरा धमकाकर राजीनामा करने का दबाव डालने की बात कही गई। वादी ने न्यायालय में कहा कि उसने अपने बयान में विवेचक सीओ को बताया कि किस पुलिसकर्मी ने उसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की लेकिन सीओ चंद्रधर गौड़ ने उस पुलिस कर्मी को बचाने के लिए वादी के गलत बयान दर्ज किए।
(रिपोर्ट-सुरेश सैनी,मथुरा)