बलरामपुर — पीएम नरेन्द्र मोदी के प्राथमिकता वाले यूपी के आठ आकांक्षात्मक जिलो में से एक बलरामपुर में स्वास्थ्य सेवाएं सुधरने का नाम नही ले रही है। आज भी दर्द से कराहती प्रसूताओ को बेड नहीं नसीब होता और डॉक्टर उन्हे फर्श पर लेटने को मजबूर कर देते है। कई घंटो तक मरीजो का भी इलाज नही होता और मरीज के गम्भीर होने पर उन्हे किसी अन्य सरकारी अस्पताल या नर्सिंग होम भेज दिया जाता है।
ताजा मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र उतरौला का है जहाँ एक प्रसूता पाँच घंटो से फर्श पर पडी कराह रही थी लेकिन उसकी सुधि लेने वाला कोई नही था। शहनाज नामक यह प्रसूता कोतवाली उतरौला क्षेत्र रमवापुर गाँव की रहने वाली है। बीती रात उसकी तबियत अचानक बिगड गयी। प्रसूता के परिजन उसे लादकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र उतरौला पहुँचे। पाँच घंटे तक प्रसूता फर्श पर पडी कराहती रही।
लेकिन उसे देखने कोई नही आया। अस्पताल के सभी डाक्टर गायब थे। मीडिया के पहुँचने पर पता चला कि यहाँ प्रसव कक्ष में कोई डाक्टर तैनात ही नही है। यहाँ महिलाओ का प्रसव एएनएम और स्टाफ नर्स के द्वारा कराया जाता है। हालत बिगडने पर या तो मरीजो को जिला महिला अस्पताल रेफर किया जाता है याँ उन्हे कमीशन के चक्कर में नर्सिंग होम भेंज दिया जाता है।
गम्भीर हालत में फर्श पर छटपटा रही शहनाज को भी पाँच घंटे बाद जिला महिला अस्पताल के लिये रेफर कर दिया गया। जिन पाँच घंटो में पीडिता का बेहतर इलाज किया जा सकता था उस समय अस्पताल के स्टाफ पीडिता के साथ जीवन मौत का खेल खेलते रहे। डीएम कृष्ण करुणेश ने मामले को गम्भीरता के लिये जाँच का आदेश दिया है और दोषियों पर कठोर कार्यवाई की बात कही है।
(रिपोर्ट-सुजीत कुमार,बलरामपुर)