न्यूज डेस्क — उत्तर प्रदेश के मेरठ जिला स्थित हाशिमपुरा में 1987 में हुए नरसंहार के सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को तीस हजारी कोर्ट का फैसला बदलते हुए सभी 16 आरोपी पीएसी के जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा कोर्ट ने 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
बता दें कि मेरठ के हाशिमपुरा में 31 साल पहले हुए इस नरसंहार में 42 लोगों की हत्या कर दी गई थी। मामले में कुल 19 आरोपित थे, इनमें से तीन की सुनवाइ के दौरान ही मौत हो चुकी है। बचे सभी 16 आरोपितों को दोषी करार दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सुबूत हैं। फायरिंग और पुलिस कर्मियों की एंट्री के सबूत हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के 42 लोगों को मारा गया है।
क्या है हाशिमपुरा नरसंहार मामला?
दरअसल, 1986 में केंद्र सरकार ने बाबरी मस्जिद का ताला खोलने का आदेश दिया था। इसके बाद वेस्ट यूपी में माहौल गरमा गया। मेरठ में धार्मिक उन्माद शुरू हो गया। कई लोगों की हत्या हुई, तो दुकानों और घरों को आग के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद भी मेरठ में दंगे की चिंगारी शांत नहीं हुई थी। जिसके बाद मेरठ में कर्फ्यू लगाना पड़ा और शहर में सेना के जवानों ने मोर्चा संभाला।
इसी बीच पुलिस, पीएसी और मिलिट्री ने हाशिमपुरा मोहल्ले में सर्च अभियान चलाया। आरोप है जवानों ने करीब 50 लोगों को एक-एक करके गोली मारकर गंग नहर में फेंक दिया। इस घटना में करीब 8 लोग सकुशल बच गए थे, जिन्होंने बाद में थाने पहुंचकर इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।