महोबा –उत्तर प्रदेश के किसानों को लाभ पहुंचाने की मंशा के चलते सरकार ने प्रदेश भर में खेतों से बालू खनन के लिए निजी भूमि के पट्टों को हरी झंडी दी थी।जिसके बाद जिले भर से करीब 257 आवेदन किये गए जिनकी जाँच के दौरान लगभग दो दर्जन फाइलें चिन्हित की गईं थीं और उनमें से 7 निजी भूमि के पट्टे भी आवंटित कर दिए गए।
लेकिन निजी भूमि पट्टों के आवंटन की प्रक्रिया तब सवालों के घेरे में आ गई जब इन सात पट्टाधारकों में से सिर्फ बराना घाट के पट्टाधारक को ही ओटीपी मिली , बाकि लगभग एक महीने से प्रशाषनिक जिम्मेवारों की परिक्रमा कर रहे हैं लेकिन इन सभी का पैसा जमा होने के बाद आज तक ओटीपी नहीं मिली ।वहीं बराना घाट में गरज रहीं एलएनटी मशीनें सत्ता की नीयत और प्रशासन के नकारापन को उजागर कर रहीं हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नगारा के बराना घाट में बालू खनन कर रहे माफिया को प्रशासनिक जिम्मेवारों के अलावा सत्ता पक्ष के एक बड़े नेताओं का आशीर्वाद मिला हुआ है।शायद यही वजह है कि नियम कानूनों को ताक पर रख बंदूक के साये में बड़े पैमाने पर खनन किया जा रहा है।वहीं दिलचस्प पहलू तो यह है कि बराना घाट का पट्टा जिनके नाम हुआ है वही कुलपहाड़ नगर पंचायत चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में थीं , बावजूद इसके पट्टाधारक के पति पर भाजपा के बड़े नेताजी की कृपापात्रता बनी हुई है।
कहा यह भा जा रहा है कि उक्त पट्टाधारक को यह पट्टा दिलाने में नेताजी की अहम भूमिका रही। हद तो तब हो गई जब मनमाफिक हिस्सेदारी न मिलने से नाराज नेताजी ने खुद ही किसानों को उकसाकर जाम लगवाया और उसके बाद अपनी मनमाफिक हिस्सेदारी की शर्त पर समझौता करा मामले को शांत करा दिया।खादी के संरक्षण का ही कमाल है कि जिले भर में मात्र एक ही निजी भूमि पर बालू खनन किया जा रहा है , और बाकि प्रशाषनिक जिम्मेवारों के चक्कर काट रहे हैं ।
(रिपोर्ट-तेज प्रताप सिंह,महोबा)