हरदोई– हरदोई जिले के पिहानी कस्बे में तीन बंदर पार्क के पास पीछे सड़क पर इस समय इंग्लिश में M.A.,B.ed.T.E.T 2011 बेरोजगार चाट कार्नर लिखा लकड़ी का ठेला लगा है।
इस ठेले के नीले रंग के बोर्ड पर नजर पड़ने पर यही लगता है जैसे यह प्रधानमंत्री और अमित शाह के ब्यान के बाद पकौड़ा पॉलिटिक्स का कोई विरोध प्रदर्शन हो रहा हो लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। दरअसल पिहानी कस्बे के निजामपुर मोहल्ले के रहने वाले निमिष गुप्ता ने सालों बेरोजगारी से संघर्ष करने के बाद रोजगार की नियत से यह चाट का ठेला लगाया है। दितीय श्रेणी में हाईस्कूल , प्रथम श्रेणी में इंटरमीडिएट, साइंस से बीएससी ,सोशलॉजी से एमए , भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी से B.Ed और शिक्षक पात्रता परीक्षा टेट पास करने वाले निमिष अपनी मां के इकलौते बेटे हैं। आंगनबाड़ी विभाग में कार्यकर्ती के रूप में तैनात निमिष की मां ने निमिष को पिता और मां दोनों का प्यार दिया है।
उन्होंने अपने बेटे को संघर्ष करके पढ़ाई कराई जिससे वह समाज में सर ऊंचा करके चल सके। निमिष ने भी अपनी माँ के सपने को पूरा करने के लिए पढ़ाई करके तमाम डिग्रियां हासिल की। पढ़ाई में होशियार सरकारी नौकरी पाने के लिए लाखों रुपए सरकारी भर्तियों के फ़ार्म भरकर बहाने के बाद जब निमिष को पिछले 7 सालों में कोई रोजगार नहीं मिल सका तो मजबूरी में निमिष ने यह बेरोजगार चाट कार्नर का ठेला लगाकर रोजगार करना शुरू कर दिया है। अब इतनी डिग्री लेने के बाद भी अगर निमिष को कोई सरकारी रोजगार नहीं मिला तो जाहिर सी बात है कि सरकार और सिस्टम के प्रति निमिष का विरोध भी है और उनका यह दर्द उनकी बातों से झलकता भी है।निमिष के मामा लोग मिठाई का कारोबार करते है ऐसे में मिठाई के कारोबार के लिए बड़ी पूँजी लगाना निमिष के बस की बात नहीं थी तो उन्होंने कम पूँजी में चाट कार्नर लगाकर बेरोजगार रहकर परेशां होने से बेहतर रोजगार करना शुरू किया है।
हर मां बाप का सपना होता है कि उनका बेटा पढ़े लिखे अच्छी नौकरी करें या बड़ा रोजगार करें ऐसा ही कुछ निमिष की मां ने भी अपने इकलौते बेटे को काफी संघर्षों में पढ़ा कर सोचा था। अपने ननिहाल में ही रहने वाले निमिष की मां का सपना था कि उसका बेटा अच्छे से पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करेगा लेकिन निमिष ने पढ़ाई भी की और डिग्रियां भी हासिल की लेकिन इतनी डिग्रियों के बाद भी कोई सरकारी नौकरी ना मिलने का मलाल और मजबूरी में बेटे को चाट का ठेला लगाने की कसक निमिष की मां की आँखों में साफ तौर पर दिखाई पड़ती है।
निमेष को इतनी डिग्री मिलने के बाद भले ही कोई सरकारी रोजगार ना मिला हो लेकिन अभी 3 ही दिन में निमिष का यह बेरोजगार चाट कार्नर पूरे इलाके में सुर्ख़ियों में आ चुका है। तमाम युवा निमिष की इस चाट कॉर्नर पर पहुंच कर चाट तो खा ही रहे हैं साथ में निमिष और उसके चाट के ठेले के साथ सेल्फी लेकर अपनी फेसबुक वॉल पर फोटो भी पोस्ट कर रहे हैं। ऐसे में सुबह से अकेले खुद चाट तैयार करने वाले निमेष जब दोपहर तीन बजे अपना चाट का ठेला लेकर बाजार में पहुंचते हैं तो उनकी बनी हुई अपनी चाट बेचने में बहुत देर नहीं लगती है और कुछ ही घंटों में उनका यह बेरोजगार चाट कार्नर लोगों की भीड़ से खाली हो जाता है।
(रिपोर्ट – सुनील अर्कवंशी , हरदोई )