लखनऊः चक गजरिया के जंगल को उजाड़ने पर लगा पांच करोड़ का जुर्माना

लखनऊ — राजधानी लखनऊ के गोसाईगंज थाना क्षेत्र स्थित चक गजरिया के जंगल पर आरा चलाना लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को महंगा पड़ा गया।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एलडीए पर पांच करोड़ रुपये जुर्माना भरने के साथ 500 हेक्टेयर में पौधरोपण कर जंगल विकसित करने का आदेश दिया। बता दें कि सुल्‍तानपुर रोड पर सीजी सिटी बसाने के लिए 102 हेक्टेयर जंगल की बलि दी गई थी। यह काफी घना जंगल था। जंगल काटे जाने से पारिस्थितिकी को बड़ा नुकसान हुआ। 

वहीं जंगल काटे जाने से पर्यावरण को हुए नुकसान से व्यथित एडवोकेट प्रिंस लेनिन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में जनहित याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट के बाद इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे वर्ष 2017 में एनजीटी को रेफर कर दिया गया था। एनजीटी ने मामले की सुनवाई दो प्रमुख मुद्दों पर की। एक तो प्राधिकरण ने पेड़ काटने के लिए वन विभाग से अनुमति ले या नहीं। दूसरा पर्यावरण को इससे कितनी क्षति पहुंची।

इस मामले में एडवोकेट प्रिंस लेनिन ने बताया कि उन्होंने जंगल काटे जाने से पहले की गूगल इमेज देखी, उसमें साफ देखा जा सकता है कि प्राधिकरण जो दो से तीन हजार पेड़ों को काटे जाने की बात कह रहा है उसमें कितनी सच्चाई है एलडीए द्वारा दी गई जानकारी सही नहीं है। दरअसल यह जंगल बहुत घना था जिसे शहर का लंग या फेफड़ा कहना अतिश्योक्ति न होगा। जबकि एलडीए लगातार पेड़ों की संख्या कम बताता रहा है।

याचिकाकर्ता एडवोकेट प्रिंस लेनिन ने बताया कि फैसला अभी अपलोड नहीं हुआ है, लेकिन तसल्ली इस बात की है कि जंगल को हुए नुकसान की भरपाई भले न हो सके, लेकिन पर्यावरण की अनदेखी करने वालों को सबक तो अवश्य मिलेगा। हालांकि अर्थ दंड किस विभाग को देना है ये अभी तय नहीं है। सभी विभागों ने अलग-अलग जमीन पर कब्जा लिया था। किसके हिस्से में कितने पेड़ कटे ये तो विस्तृत आदेश से स्पष्ट होगा।

गौरतबल है कि चक गजरिया सिटी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था। 2012 के अंत में इस परियोजना की परिकल्पना की गई। सुल्तानपुर रोड पर एक हजार एकड़ से अधिक जमीन में फैले पशुपालन विभाग के चक गजरिया फार्म को समाप्त कर के यहां एक आधुनिक शहर बसाने की तैयारी की गई। ये शहर 2017 के अंत में मूर्त रूप में सामने आने लगा। अब एचसीएल, फोर्टिस अस्पताल और अन्य बड़े संस्थान यहां काम भी करने लगे हैं।

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