LU बवाव- कोर्ट ने डीजीपी, एसएसपी को लगाई फटकार, कहा अबतक क्यों नही हुई कार्रवाई

लखनऊ– लखनऊ विश्वविद्यालय में बुधवार को हुए शिक्षकों के साथ हुई मारपीट के मामले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई।

कोर्ट के निर्देश पर आज सुबह साढ़े दस बजे डीजीपी, कुलपति, प्रॉक्टर, रजिस्ट्रार और एसएसपी जस्टिस विक्रम नाथ और राजेश सिंह चौहान की बेंच के समक्ष प्रस्तुत हुए। यूपी पुलिस के डीजीपी ओपी सिंह और एसएसपी लखनऊ दीपक कुमार को कोर्ट ने फटकार लगाते हुए पूछा कि जब विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर व अन्य अधिकारी पुलिस से इस प्रकार की घटना का अंदेशा जता चुके थे, फिर भी पुलिस शिक्षकों के साथ मारपीट की घटना रोकने में क्यों विफल रही ?

यही नहीं कोर्ट ने प्रॉक्टर के घर पर रात 12 बजे धमकी दिए जाने की घटना को लेकर दर्ज एफआईआर पर अब तक हुई कार्रवाई की रिपोर्ट भी मांगी। एसएसपी लखनऊ ने कोर्ट के सामने अपनी सफाई पेश की, लेकिन कोर्ट उनकी दलील से संतुष्ट नहीं हुई। जस्टिस विक्रम नाथ और राजेश सिंह चौहान ने वीसी और प्रॉक्टर को पूरी घटना का ब्योरा एक हफ्ते के अंदर हलफनामें में देने को कहा है।

साथ ही इस तरह की घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए कोर्ट ने मुख्य सचिव को एक समिति बनाने का निर्देश दिया है। प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता वीके शाही और मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश पांडेय उपस्थित हुए। मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को रखी गई है।

डीजीपी और एसएसपी को जज ने खूब सुनाया

खचाखच भरी अदालत में तलब किए पांचों अधिकारी साढ़े दस बजे पहुंचे।डेढ घंटे तक चली सुनवाई के दौरान अदालत ने पहले लखनऊ विवि के वीसी, रजिस्ट्रार और प्रॉक्टर को बारी-बारी से बुलाकर घटनाक्रम के संदर्भ में जानकारी ली। इसके बाद डीजीपी और एसएसपी लखनऊ से अब तक की गई कार्रवाई के बारे में पूछा।

कार्रवाई से असंतुष्ट अदालत ने डीजीपी और एसएसपी को नाराजगी भरे स्वर में कहा कि घटना के समय 50 मीटर की दूरी पर पुलिस मौजूद थी, लेकिन वह सोती रही। इस पर एसएसपी द्वारा सफाई दी गई कि मारपीट की घटना राजनीति से प्रेरित थी। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कोर्ट ने अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा कि आजकल सभी राजनीतिक दलों का यही काम रहा गया है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूनिवर्सिटी परिसर में शिक्षकों की खुलेआम पिटाई हो जाए। अदालत ने कहा कि क्या अब यही व्यवस्था चलेगी जिसमें शिक्षकों को अपराधी आकर पीट जाए।

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