न्यूज डेस्क– भगवान जगन्नाथ की 10 दिवसीय रथयात्रा आज पूरे भक्तिमय माहौल में उल्लास के साथ शुरू हो गई। जगन्नाथ मंदिर ओडिशा राज्य के पुरी शहर में पूरे मंदिर है जिसे हिन्दू मान्यताओं के चार धामों में से तीसरा धाम प्रमुख धाम माना जाता है।
यहां हर साल अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में जगन्नाथ रथयात्रा का उत्सव मनाया जाता है। जानकारी के अनुसार इस उत्सव में देश विदेश से लाखों श्रृद्धालु पहुंचते हैं। इस दौरान भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा के विशालकाय रथ तैयार किए जाते हैं जानें तीनों देवताओं की मूर्ति को इन मंदिरनुमा रथों में बैठाकर भक्त गुडीचा मंदिर तक खींचकर ले जाते हैं। भगवान जगन्नाथ भाई- बहन के साथ अपनी मौसी के घर नौ दिन तक रहने के बद वापस लौटते हैं। रथयात्रा आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया से शुरू होती है। इससे पहले जेष्ठ पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ को 108 कलशों से स्नान कराया जाता है। जिसके बाद वह बीमार पड़ जाते हैं और कई दिन बाद तक भगवान को काढ़ा का भोग लगाकर उनकी सेवा की जाती है। फिर द्वितीया को शुरू होती है रथयात्रा।
रथ यात्रा की तैयारी हर साल बसंतपंचमी से शुरू हो जाती है। भगवान की यात्रा के लिए नीम के पेड़ की लकड़ी से रथ तैयार किया जाता है। खास बात यह होती है कि इसको बनाने में किसी भी प्रकार की धातु का कतई प्रयोग नहीं होता है। रथ की लकड़ी प्राप्त करने के लिए स्वस्थ और शुभ पेड़ की पहचान की जाती है।