एटा–जनपद एटा में लॉकडाउन (lockdown) के चलते गेहूं काटने के लिए किसान मजदूर नहीं जुटा पा रहे हैं, जिसके चलते खेतों में पकी फसल को आवारा गोवंश बड़े पैमाने पर बर्बाद कर रहे है, जिला प्रशासन किसानों के लिए व्यवस्था कराने में नाकाम साबित हुआ है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 21 दिन के लॉक डाउन (lockdown) ने जहां कोरोना महामारी को फैलने से काफी हद तक रोका है। वही लॉक डाउन (lockdown) के चलते किसानों के सामने कई समस्याएं खड़ी हो गई हैं, जिला प्रशासन की सख्ती के चलते जनपद एटा में किसानों को गेहूं कटवाने के लिए मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं, क्योंकि जिला पुलिस और प्रशासन सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन कराने के लिए लगातार गांव में जाकर किसानों को दिशा-निर्देश दे रहा है।
किसानों में लॉकडाउन (lockdown) और सोशल डिस्टेंस को लेकर इस कदर दहशत फैली हुई है, कि खेतों में गेहूं की फसल खड़ी है, जिसे आवारा गोवंश बड़े पैमाने पर बर्बाद कर रहे हैं, लेकिन किसान बेबस बना देख रहा है। लॉक डाउन के चलते जनपद में गेहूं निकालने वाली थ्रेसर खराब हो जाती हैं, लेकिन उनकी मरम्मत के लिए दुकान ना खुली होने पर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वही आप इन दृश्यों में साफ तौर पर देख सकते हैं कि एटा जनपद के थाना निधौली कला क्षेत्र में खेतों में गेहूं की फसल को आवारा गोवंश के झुंड के झुंड किस तरीके से खेतों में घुसकर कटने को तैयार खड़ी गेंहू की फसल को कैसे चट कर रहे है वो तश्वीरो में देखा जा सकता है। वही लॉक डाउन में किसानों की मदद करने में एटा जिला प्रशासन पूरे तरीके से फेल और नाकाम दिख रहा है।
वही जब गौ वंशों द्वारा खेती में नुकसान मामले को लेकर जब जिले जिलाधिकारी सुखलाल भारती से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जनपद में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है और उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के द्वारा हर साल निर्देश मिलता है कि क्रॉप कटिंग प्रयोग के द्वारा शाशन से निर्देश मिलते है कि जो गाँव क्रॉप कटिंग प्रयोग योजना में जो गाँव चयनित होते है जिसमे मेरे व दोनों एडीएम ,सीडीओ और सभी एसडीएम,तहसीलदार,नायब तेहशीलदार सहित मौके पर जाकर खेत अपने सामने कटवाकर उसके बाद गेंहू निकलवाकर पता करते है कि कितने बीघा क्विंटल की पैदावार का एवरेज है उसको लेकर सरकार को रिपोर्ट भेजते है। वाकी देखने से पता चलता है कि जनपद के किसान कितने परेशान है की लॉक डाउन के चलते उन्हें गेंहू कटाई के लिए मजदूर नही मिल पा रहे है,जिसे लेकर जिला प्रशाशन भी मजदूरों को लेकर बेबस और मजबूर दिखाई पड़ रहा है।
(रिपोर्ट- आर.बी.द्विवेदी,एटा)