आगरा — देश में वन्दे मातरम् पर तमाम मुस्लिम नेताओं व धर्मगुरुओ ने कितना भी विरोध किया हो पर भारत के मुस्लिमों का देशप्रेम किसी से छुपा नहीं है।वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में गुलचमन शेरवानी के वन्दे मातरम और तिरंगे का प्रेम देख आंखें नम और शरीर में देशभक्ति का जज्बा स्वतः ही आ जाता है।
दरअसल आगरा के थाना शाहगंज क्षेत्र के आजमपाड़ा के रहने वाले गुलचमन शेरवानी का वन्दे मातरम और तिरंगे के प्रति कुछ ऐसा प्रेम है कि उनके घर पर पेंट भी तिरंगा है और उसे तिरंगा मंजिल के नाम से पुकारा जाता है। यही नहीं पत्नी-बच्चे और खुद वो तिरंगे की ही ड्रेस पहनते हैं यहीं नहीं वो ईद बकरीद से ज्यादा 15 अगस्त और 26 जनवरी को मनाते हैं। इन्होंने शादी भी तिरंगे को हाथ में लेकर वन्दे मातरम की धुन पर की थी, जिसके विरोध के चलते इनकी शादी में आरएएफ समेत तीन जिलों की फोर्स लगानी पड़ी थी। इसके अलावा वन्दे मातरम को राष्ट्रीय गीत घोषित करने के दिन 6 सितम्बर को यह दीवाना भारत माता की प्रतिमा के सामने नमाज पढ़ता हैं।
मुहब्बत ने भी छोड़ा साथ
इस कृत्य के बाद दिल्ली के इमाम ने गुलचमन को काफिर करार दे दिया और आगरा के तमाम मुस्लिम समाज ने उसे बिरादरी से अलग कर दिया। यहां तक कि बचपन की मोहब्बत जिससे गुलचमन की मंगनी हो चुकी थी उसने भी उसे धर्म से अलग होने के आरोप के बाद शादी से इनकार कर दिया। साथ ही तब उसके पिता ने भी उसे लिखित में जायदाद से बेदखल कर दिया। इसके बाद मुहबोली मां सलमा के भाई पर दबाव बनाया जाने लगा तो सलमा ने अपनी बेटी हिना की शादी गुलचमन से करने का फैसला किया।
कुदरत ने भी किया करिश्मा
कुदरत का करिश्मा ही मानेंगे की इनके दो बच्चे हैं और बड़ी बेटी गुलसनम 15 अगस्त 2009 और बेटा गुलवतन 26 जनवरी 2012 को पैदा हुए। इसे यह भारत माता की अनुकंपा मानते हैं। बतौर गुलचमन समाज से बहिष्कार के बाद उनके बच्चों को आस पास किसी स्कूल में एडमिशन नही मिला और दूर जाकर किसी बड़े मिशनरी स्कूल में पढ़ाने की उनकी हालत नहीं है इस कारण बच्चे अशिक्षित हैं।इनको किसी मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ने दिया जाता है।
पत्नी हिना नाज शेरवानी ने बताया हमें तिरंगा पहनना अच्छा लगता है, तिरंगा हमारी शान है। मेरी शादी वंदे मातरम की धुन पर हाथ में तिरंगा लेकर हुई थी। तीन जिलों की पुलिस लगी थी। मेरी शादी में कुछ लोग विरोध कर रहे थे। मुस्लिम लोगों को कुछ परेशानी होती है। हमारे बच्चों को मदरसों में एडमिशन नहीं मिलता है, अगर मिल भी जाता है तो बच्चों को निकाल देते हैं। स्कूल वाले कहते हैं कि तुम वंदे मातरम गाते हो।वहीं बेटी गुलसनम शेरवानी ने बताया वे पहले स्कूल जाते थे अब नहीं जाते। स्कूल से निकाल दिया गया। हमारे पापा वंदे मातरम गाते थे इसलिए। हमारे पापा मस्जिद जाते थे नमाज पढ़ने वहां से भी निकाल दिया गया।
मोदी-योगी से भी लगाई गुहार पर….
भाजपा शासन आने पर न्याय की उम्मीद लगाकर इन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को कई बार खत लिखे पर कोई जवाब नही आया है। गुलचमन का कहना है कि जब उनकी हत्या होगी तो हंगामा होगा और तब उनके बच्चों को कोई मंत्री गोद लेगा और इनके दिन संवरेंगे। इतने के बाद भी गुलचमन का वन्दे मातरम और तिरंगे के प्रति प्रेम अभी भी कम नहीं हुआ है और वो लगातार अपने हक की लड़ाई को अग्रसर हैं।
अब जिस तरह से गुलचमन की वतन परस्ती सामने आईं है उसके बाद क्या बच्चो को शिक्षित करने की बाते करने वाली सरकारे और वन्देमातरम की पैरवी करने वाले सत्ताधारी दल आखिर कार इस देशभक्त मुस्लिम युवक किस सहायता कर पाते है या ये मामला भी सिर्फ भाषणों और बातों की तरह ही साबित होगा नहीं ये देखने वाली बात होगी।