बहराइच– राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना अंतर्गत मिहींपुरवा विकास खंड की तीन महिलाओं का आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना के लिए हुआ है। इन महिलाओं को सरकार ने वाहन उपलब्ध करा दिया है।
अब यह महिलाएं अन्य महिलाओं के साथ वाहनों से स्वनिर्मित वस्तुओं की बिक्री करेंगी। मिहींपुरवा विकास खंड की तीन महिलाओं का चयन अन्य जिलों के 24 विकास खंडों में हुआ है। इससे महिलाएं प्रतिदिन हजारों रुपये मुनाफा कमा रही हैं।
ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना का शुभारंभ किया है। यह योजना सरकार के इंटरेस्ट सब्वेंशन श्रेणी में देश के 250 जिलों में लागू करना है। इस योजना को मिशन के अंतर्गत गठित सामुदायिक संस्थाओं के माध्यम से किया जा रहा है। इसमें ग्रामीण क्षेत्र के ग्राम संगठन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका चयन फरवरी माह में हुआ। इनमें प्रदेश के विभिन्न जिलों के 24 विकास खंडों का नाम रखा गया।
बेरोजगारी को देखते हुए जिले के मिहींपुरवा विकास खंड का चयन हुआ। आजीविका मिशन के एंकर पर्सन नंदकिशोर शाह ने बताया कि विकास की तीन महिलाओं को वाहन उपलब्ध कराया गया है। इसके तहत चिहिंत ग्राम संगठन के सदस्य को अधिकतम छह वर्ष के लिए ब्याज मुक्त छह लाख 50 हजार रुपए दिया गया है। सदस्य द्वारा ग्राम संगठन को निर्धारित किस्तों में ऋण वापस करना होगा। सदस्य द्वारा अनुबंध के अनुसार निर्धारित मार्ग एवं समय पर वाहन चलाया जाना अनिवार्य होगा। उपायुक्त स्वत: राजेश कुमार ने बताया कि मिहींपुरवा की मुखिया फार्म रमपुरवा मटेही निवासी आशा देवी, ललिता देवी मटेही कला तथा मझाव गांव निवासी मुन्नी देवी का वाहन के लिए चयन हुआ है। इन सभी को वाहन उपलब्ध करा दिया गया है। सभी ने वाहनों से स्वनिर्मित वस्तुओं की बिक्री शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य मिशन के अंतर्गत गठित स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को एक सतत आजीविका का अवसर प्रदान करना है। उपायुक्त ने बताया कि वाहनों से गांव की अन्य महिलाएं जुड़कर उनका सहयोग कर स्वरोजगारी बन सकती हैं। प्रतिदिन महिलाएं एक हजार से अधिक का मुनाफा वस्तुओं की बिक्री में कर रही हैं।
…और रोने लगी लकड़ी बीनने वाली मुन्नी, प्रतिदिन मिल रहा एक हजार:
मिहींपुरवा विकास खंड के मझाव गांव निवासी मुन्नी देवी पहले जंगलों में लकड़ी बीनकर परिवार का भरण पोषण करतीं थी। लेकिन आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद उनकी जिंदगी ही बदल गई। पुरानी यादों में खोते हुए मुन्नी देवी की आंख भर आई। मुन्नी ने बताया कि वर्ष 2014 में एनआरएलएम के समूह से जुड़ीं और समूह सखी के रूप में कार्य करने लगी। शुरू में 800 रुपये माह मिला। इसके बाद मुन्नी का चयन ब्लॉक रिसोर्स पर्सन के रूप में हुआ। इस पर मुन्नी को 300 प्रतिदिन आमदनी होने लगी। रुपये की आमदनी होने लगी। वर्ष 2016 में मुन्नी का चयन आंतरिक कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन के रूप में हुया। इधर आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस मिलने से प्रत्येक दिन 1000 रुपये कमा रही हैं। अब मुन्नी एसी बेलोरो से बाजार जाती हैं। साथ में समूह की अन्य दीदी को भी ले जाती है।
शुरुआती दौर में झेलना पड़ा ताना:
आजीविका मिशन एक्सप्रेस वाहन पाने वाली मुन्नी ने बताया कि रोजगार पाने के लिए वह मिशन से जुड़ीं। इसके बाद प्रशिक्षण लेने जाने लगीं। इसका गांव के कुछ लोग विरोध करते थे। सभी ताना मारने लगे। लेकिन पति के सहयोग से साथ रहकर सामाजिक ताना बाना और विरोध के बावजूद आज एक आदर्श महिला के रूप में प्रसंशनीय हैं। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने पति, डीसीएनआरएलएम और बीएपी नंदकिशोर साह को देती हैं।
(रिपोर्ट – अमरेंद्र पाठक , बहराइच )