लखनऊ — अवैध निर्माणों के लगातार बनते रहने और मुख्यमंत्री पोर्टल पर लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा शिकायतों के फ़र्ज़ी निस्तारण पर यूपी समचार लगातार खबर करने का असर तब देखने को मिला
जब लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रभुनाथ सिंह एक महीने के अवकाश पर गए । इस दौरान उनकी अनुपस्थिति में जिलाधिकारी लखनऊ कौशलराज शर्मा को लखनऊ विकास प्राधिकरण की अतिरिक्त ज़िम्मेदारी मिली । प्राधिकरण की ज़िम्मेदारी संभालते ही जिलाधिकारी ने सबसे पहले अवैध निर्माणों को लेकर आ रही शिकायतों की जाँच की तो पाया कि न तो विकास प्राधिकरण आरटीआई का ही कोई जवाब दे रहा है और न ही आईजीआरएस मुख्यमंत्री पोर्टल पर ही सही जवाब दे रहा है ।
भूमाफियाओं ,बिल्डरों और उनके साथ लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से नाराज़ जिलाधिकारी महोदय ने अवैध निर्माणों से जुड़ी सभी फाइल तलब कर लीं और उन पर सख्त रुख अपना लिया । उनकी सख्ती से भ्रष्ट अधिकारियों के चेहरे का रंग उड़ गया और आनन फानन में इसकी खबर अवकाश पर चल रहे लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रभुनाथ सिंह को दी गयी । किसी भी भ्रष्टाचार के बाहर आने के डर से घबराए प्रभुनाथ सिंह अपना अवकाश रद्द कर वापस प्राधिकरण लौटे और कार्यभार संभाला ।
इस दौरान सबसे ज़्यादा अवैध निर्माण , विकास प्राधिकरण के ज़ोन दो के वीआईपी क्षेत्र आशियाना में , ज़ोन तीन के सिंगार नगर में जहाँ लखनऊ की महापौर संयुक्ता भटिया जी के आवास से महज 50 मीटर की दूरी पर ही अवैध बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया जा रहा है ।
इसी तरह सरफ़राज़ गंज ज़ोन 7 के अंतर्गत अवैध रूप से फ़्लैट बनाये जा रहे हैं और तमाम शिकायतों और विरोध के बाद भी भूमाफियाओं , बिल्डरों और भ्रष्ट विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से राजधानी लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने की प्रधानमंत्री जी की योजना को पलीता लग रहा है । अवैध निर्णाण को लेकर स्थानीय लोगों में बड़ा रोष है और इस पर उन्होंने भी लखनऊ विकास प्राधिकरण के ऊपर भ्रष्टाचार में आरोप लगाए हैं ।
(रिपोर्ट-अंशुमान दुबे,लखनऊ)