यूपी में खाकी और खादी का असर खत्म होता जा रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण रविवार को लखीमपुर खीरी में देखने को मिला। दरअसल यहां जमीनी के विवाद को लेकर पूर्व विधायक व दिग्गज नेता निरवेंद्र कुमार मिश्रा उर्फ मुन्ना की हत्या कर दी गई।
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वह तीन बार विधायक रह चुके थे। घटना के दौरान उनके पुत्र संजीव कुमार को भी पीट-पीटकर अधमरा कर दिया गया। हालांकि पुलिस ने पूर्व विधायक के पुत्र की तहरीर पर पांच लोगों के खिलाफ हत्या की FIR दर्ज कर दो को गिरफ्तार भी कर लिया गया है।
हालांकि रविवार देर रात आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार पूर्व विधायक की मौत हार्ट अटैक से हुई थी। पीएम रिपोर्ट में उनके शरीर पर चोटों के कोई निशान नहीं मिले हैं।
जमीन को लेकर हुआ था विवाद…
बता दें कि लखीमपुर के थाना संपूर्णानगर क्षेत्र के त्रिकौलिया पढ़ुवा में जमीनी विवाद को लेकर दो पक्ष रविवार को दिन में ही भिड़ गए। इसमें एक पक्ष पलिया का और दूसरा पक्ष पूर्व विधायक निरवेंद्र कुमार मिश्रा उर्फ मुन्ना का है। यहां पर जमीन पर कब्जेदारी के विवाद के दौरान मारपीट भी हुई, जिसमें पूर्व विधायक की संदिग्ध हालातों में मौत हो गई। उनके पुत्र संजीव कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।
इस घटना में परिवारजन ने पूर्व विधायक की हत्या करने आरोप लगाया है। पुलिस ने घटना में पूर्व विधायक के पुत्र की तहरीर पर एफआइआर दर्ज की है। पूर्व विधायक परिवार का आरोप है कि विपक्षीगण सैकड़ों हथियार से लैस लोगों को लेकर आए थे।
परिजनों ने की सीओ को हटाने की मांग..
हत्या के बाद नाराज परिवारीजन शव रखकर प्रदर्शन करने लगे। डीएम की ओर से सीओ को हटाने के एलान के बाद ही वे अंतिम संस्कार को तैयार हुए। रविवार देर शाम आईजी लक्ष्मी सिंह भी मौके पर पहुंचीं। उन्होंने बताया कि सीओ के खिलाफ भी तहरीर मिली है, जिसकी जांच की जाएगी।
विवादित जमीन त्रिकोलिया-पढ़ुआ तिराहे पर है। पलिया निवासी राधेश्याम गुप्ता अपने कई साथियों को लेकर रविवार को यहां कब्जा करने पहुंचे थे। मामले की जानकारी होते ही पूर्व विधायक निरवेंद्र कुमार मिश्रा अपने बेटे संजीव कुमार के साथ मौके पर पहुंचकर विरोध करने लगे, जिस पर विवाद बढ़ गया।
तीन बार रहे विधायक
करीब 75 वर्षीय निरवेंद्र कुमार मिश्रा उर्फ मुन्ना दो बार निर्दलीय तथा एक बार समाजवादी पार्टी से विधायक थे। प्रदेश में 10वीं से 12 विधानसभा में निरवेंद्र मिश्र 1989 से 1993 तक तीन बार विधायक रहे। 1989 में पहली बार निर्दलीय चुनाव जीता था। इसके बाद 1991 के चुनाव में भी निर्दलीय चुनाव जीता, वहीं, 1993 के चुनाव में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी।
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