फर्रुखाबाद–फर्रुखाबाद के तकिया नशरत शाह मोहल्ले में हजरत मरहूम मीर मौसम अली की दरगाह पर हाजी मोहम्मद अशफाक लाजबंती के बीजों से बांस की खपच्चों से बने ढ़ांचे को ताजिये की शक्ल देते हैं।
लाजबंती का जैसा नाम वैसा ही उसका रखरखाव भी है। इतनी नाजुक की धूप का असर पड़ते ही कुम्हला जाये। आपको बता दें कि लाजबंती को वैद्य जानवरों की चोट का जख्म भरने के काम लाते हैं। इसमें आयरन की प्रधानता होती है। लेकिन अशफाक नेे लाजबंती की हरियाली को पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लोगों को जगाने का जरिया बना लिया है।
पिछले सालों के मुकाबले लाजबंती के बीजों का रेट तीन गुना तक हो गया। महंगा बीज खरीदने की हिम्मत जुटाने के बाद उनके साथ गुगली हो गयी । पुराना बीज मिलने से उसमें किल्ले नहीं फूटे। अशफाक को समय से यह पता लगा तो फिर दूसरे बीज लाकर ताजिया बनाना शुरु किया। लाजबंती के बीजों से ताजिया बनाने में ही कारीगरी है। लाजबंती के बीज से अंकुरित किल्लों से ढकी गुंबद और मीनरें ताजिये को सुंदर लुक देती हैं। ताजिया बनाने वाले परिवार के मुखिया हाजी मोहम्मद अशफाक बताते हैं कि ताजिया लोगों को हरियाली बचााने का संदेश देता है। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हरियाली बहुत जरुरी है।
(रिपोर्ट-दिलीप कटियार, फर्रूखाबाद)