लेडी डॉन गीता अरोड़ा उर्फ सोनू पंजाबन को दिल्ली की एक अदालत ने 12 साल की बच्ची की तस्करी करने के जुर्म में 24 की साल कठोर सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि ऐसे क्रूर और डरावना काम करने वालों को सभ्य समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है।
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24 साल का कठोर कारावास…
दरअसल पुलिस के लिए सिर दर्द बना चुकी गीता अरोड़ा उर्फ सोनू पंजाबन को बुधवार को कोर्ट ने अनैतिक तस्करी (निषेध) कानून के तहत 14 साल और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में 10 साल की सजा सुनाई। इनमें नाबालिग बच्ची को वेश्यावृत्ति के लिए खरीदने, बेचने और आपराधिक षड्यंत्र रचने का अपराध शामिल है।
अदालत ने कहा कि दोनों सजाएं अलग-अलग चलेंगी। अदालत ने कहा, इस तरह दोषी कुल 24 साल के लिए जेल में रहेगी। इसके अलावा अदालत जुर्माना भी ठोका है। अदालत ने पंजाबन और बेडवाल को 16 जुलाई को दोषी करार दिया था।
इस तरह बनी जिस्मफरोशी के धंधे की क्वीन
आज हम उसके बारे में बता रहे हैं कि आखिर ऑटो चालक की बेटी जिस्मफरोशी के धंधे की क्वीन कैसे बन बैठी।
दरअसल सोनू पंजाबन का असली नाम गीता अरोड़ा है। उसके पिता हरियाणा के रोहतक से रोजगार की तलाश में दिल्ली आए थे। वह लक्ष्मी नगर में रहने लगे और ऑटो चलाकर परिवार का पेट भरते थे। 10वीं पास करने के बाद सोनू ने ब्यूटी पार्लर खोला। कुछ समय बाद वह जिस्मफरोशी करने लगी। एक कॉरपोरेट कंपनी की तरह वह सेक्स रैकेट चलाने लगी।
हुस्न के जाल में फांसकर कई बदमाशों से की शादी
यही नहीं हुस्न के जाल में फांसकर कई बदमाशों से शादी की। उसने तीन शादियां की लेकिन सारे पति एनकाउंटर में मारे जाते रहे और सोनू का बिजनेस फैलता रहा। पुलिस के लिए सिरदर्द बनी तो मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट 1999) भी लगा लेकिन सोनू बचकर निकल गई।
पतियों की की मौत होती रही लेकिन सोनू का काला कारोबार नई ऊंचाइयां छू चुका था। कई मॉडल और स्कूल-कॉलेज की लड़कियां तक वह सप्लाई करने लगी। पुलिस के मुताबिक, सोनू जिस्मफरोशी का धंधा संगठित तरीके से करती रही है।
कमिशन में मिलते थे 20 से 25 हजार
वह फ्रीलांस कॉल गर्ल्स को क्लाइंट्स के पास भेजती, जिनमें ज्यादातर स्कूल-कॉलेज स्टूडेंट्स रहती थीं। वह व्हाट्सअप मेसेज और विडियो कॉल के जरिए कॉन्टैक्ट में रहती थीं। लड़कियों को क्लाइंट के पास भेजने का 30 फीसदी कमिशन लेती थीं, जो आमतौर पर 20 से 25 हजार रुपए होता था।
वो ज्यादातर लेन-देन ई-वॉलेट के जरिए करती थीं, ताकि पुलिस को सबूत न मिल सके। सोनू पर मर्डर समेत कई मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन उसे सजा पहली बार हुई है।
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