प्रयागराज — प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर संगम किनारे जमे श्रद्धालुओं ने 11 बजे रात के बाद से ही स्नान शुरू कर दिया था। संगम की रेती की शान लगभग सभी अखाड़ों ने दूसरे शाही स्नान में डुबकी लगा ली है।
वहीं इस दौरान अखाड़ों में बनाए गए नए नगा साधु दूसरे शाही स्नान की शान बन रहे हैं। संतों, महामंडलेश्वरों के साथ ही नए बने नागा संन्यासियों में डुबकी लगाने को लेकर सबसे ज्यादा आतुरता देखी गई।
संतों के शाही स्नान के लिए अखाड़ों की छावनी से लेकर मुख्य संगम नोज तक खास बैरीकेडिंग की गई है। प्रत्येक अखाड़े को स्नान के लिए चालीस मिनट का समय दिया गया था। अखाड़ों के स्नान के बीच में बीस मिनट के अंतराल में घाट खाली कराने और सफाई की व्यवस्था की गई है।सभी तेरह अखाड़ों को तीन वर्गों में बांटा गया है। सन्यासी, बैरागी और उदासीन। सबसे पहले सन्यासी अखाड़े के संत शाही स्नान किया, इसके बाद बैरागी और अंत में उदासीन के अंतर्गत आने वाले संतों ने शाही स्नान किया।
माना जा रहा है कि कुंभ के सबसे महत्वपूर्ण स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर सोमवार को 3 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के स्नान करने की उम्मीद है। मौनी अमावस्या पर सोमवार को दो करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने यहां कुम्भ मेले में गंगा और संगम में आस्था की डुबकी लगाई।